मध्य प्रदेश के उर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बताया कि विद्युत विभाग में अगर हमारा कुछ फेलियर हो रहा है और उससे जनता को तकलीफ हो रही है तो यह भी एक चिंतन करने की बात है। हम यह भी देखेंगे कि कुछ फेलियर अगर हमारा हो रहा है तो उसे हम कैसे कम कर सकते हैं। इसके लिए हम सभी लोगों का सुझाव भी लेंगे और जिस का सुझाव अच्छा होगा उस पर हम अमल करेंगे।
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ऊर्जा मंत्री ने बताया कि 3 दिन चलने वाले इस मंथन में सभी लोगों के सुझाव लिए जाएंगे और उनके लिए टीम बनाई जाएगी और जरूरत पड़ी तो उसे शासन स्तर पर ले जाकर क्रियान्वयन भी करवाया जाएगा। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर का कहना है कि प्रदेश में लगभग 21000 मेगा वाट अनुबंधित बिजली की क्षमता है और उसमें लगभग साढे 7000 मेगा वाट क्षमता सौर ऊर्जा पवन और जल पर आधारित है।
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साथ ही यह चीज हमारी प्रकृति के ऊपर निर्भर करती है क्योंकि अगर हवा अच्छी नहीं चली तो पवन चक्की नहीं चलेगी। पानी की कमी हुई तो जल से चलने वाली इकाइयां कम होगी। इसी तरह अगर सौर ऊर्जा पर भी हम बहुत निर्भर है कुल मिलाकर प्राकृतिक तौर पर बिजली विभाग बहुत हद तक निर्भर है। इसी तरह थर्मल इकाइयां भी कई मर्तबा तकनीकी कारणों के चलते प्रभावित होती है। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि मध्य प्रदेश में अभी 12000 मेगा वाट ऊपर की मांग है जो कि हम दे रहे हैं।
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वर्तमान में मध्यप्रदेश में कोयले की मौजूदगी को लेकर ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह तोमर ने बताया कि आज हमारे पास ढाई से तीन लाख में ट्रैक्टर कोयला स्टॉक में है। इसके अलावा जितनी आवश्यकता प्रतिदिन की हमें हैं उसके लिए हम रैक के माध्यम से और अब पूजा मंत्रालय ने 20 लाख मैट्रिक टन से अधिक कोयला सड़क सड़क मार्ग से मंगवाने का निर्णय लिया है। जिसके लिए टेंडर भी जारी कर दिए गए हैं। वहीं उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने तय किया है कि साढ़े सात लाख टन मैट्रिक कोयला विदेशों से लाया जाएगा।