जबलपुर/संदीप कुमार
कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुए लॉक डाउन से कोई अगर सबसे ज्यादा कोई परेशान है तो वो है रोज कमाने खाने वाला मजदूर। मूलतः दमोह जिले के रहने वाले मजदूर का समूह शुक्रवार को लंबी पैदल यात्रा कर जबलपुर पहुचा। यह समूह महाराष्ट्र में काम कर रहा था जिसमें कई महिला-पुरूष सहित बच्चे भी शामिल थे।
महाराष्ट्र में मजदूरी काम करने वाले ये मजदूर लॉक डाउन के बाद उस राज्य में फंसकर रह गए थे। स्थानीय प्रशासन ने भी इनकी मदद नही की। जब तक जेब में पैसे थे तब तक खाने पीने का खर्चा चला पर जब जेब खाली हो गई तो उन्हें अपना घर परिवार याद नजर आने लगा, लिहाजा ये लोग पैदल ही अपने घर के लिए निकल पड़े । लॉक डाउन के दौरान रास्ते मे जिन्होंने जो खाने पीने को दे दिया खा लिया और फिर चल दिए अपनी मंजिल की और।रास्ता लम्बा था पर हौसला मजबूत था इसलिए पैरों में छाले भी पड़ गए पर इनके पैर नहीं थके।
महाराष्ट्र से दमोह के लिए 50 मजदूर और उनके बच्चे शुक्रवार रात करीब साढ़े तीन दिन के बाद जब पाटन बायपास के पास पहुँचे तो इसकी सूचना एसपी अमित सिंह के पास पहुँची।उन्होंने तुरंत ही कलेक्टर भरत यादव से सम्पर्क किया जिसके बाद कलेक्टर ने स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की टीम को निर्देश दिया कि उनके खाने पीने की व्यवस्था करे।निर्देश के बाद जहाँ मौके पर पहुँची पुलिस प्रशासन की टीम उनके खाने पीने की व्यवस्था में जुट गई वही स्वास्थ्य विभाग महाराष्ट्र से आए लोगो की स्क्रीनिंग में जुट गया।
मौके पर आई स्वास्थ्य विभाग की टीम ने एक एक करके सभी बच्चो-बुजुर्गों-महिलाओ और पुरुषों स्क्रीनिंग की जिस टेस्ट में सभी लोग निगेटिव आए। हालांकि इस टेस्ट से जिला प्रशासन संतुष्ट नही हैं लिहाजा शनिवार को फिर एक बार इनकी कोरोना जांच की जाएगी और अगर कोई भी पॉजिटिव नहीं रहा तो फिर उनके घर तक पहुचाने की व्यवस्था जबलपुर जिला प्रशासन करेगा।