मृतक राजबहादुर पटेल के शव का पुलिस ने पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया। अब परिजनों के पास उसके अंतिम संस्कार के भी पैसे नहीं है, लिहाजा चंदा कर राज बहादुर का अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन सवाल यह उठता है कि जिस कंपनी के तहत वह गार्ड की नौकरी कर रहा था उस कंपनी का क्या कोई कत्र्तव्य नहीं कि वह इस काम के लिए आगे आए।
यह भी पढ़ें- Sehore News : कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाते नजर आए 5 बदमाश, मामला दर्ज
बीच रास्ते में ही कंपनी ने छोड़ा
राजबहादुर जिस कंपनी के लिए ड्यूटी करते हुए शहीद हुआ अब वह कंपनी ही उसे नहीं पूछ रही। अपने शहीद कर्मी के अंतिम संस्कार के लिए भी कंपनी आगे नहीं आई। ऐसे में पूरे परिवार का मुखिया और सब का चहेता राजबहादुर अपने फर्ज को निभाते हुए एवं पूरी इमानदारी के साथ ड्यूटी करते हुए इस तरह से चला जाएगा किसी ने सोचा भी नहीं था। मृतक सुरक्षा गार्ड के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, उसकी पत्नी विकलांग है, बेटी विवाह योग्य है जबकि दो बेटे फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें- MP News : प्रदेश के स्वच्छ प्रतिष्ठानों का हो गया फैसला, 14 फरवरी को होगा सम्मान
जानकारी के लिए आपको बतादें कि मृतक सुरक्षा गार्ड अधारताल के जवाहर नगर में किराये के मकान मे ंरहता था, मृतक गार्ड की पत्नी दोनो पैरों से विकलांग है, 25 साल की बेटी ज्योति पढ़ाई कर चुकी है, जबकि उसका बड़ा बेटा आयुष पटेल और छोटा बेटा साहिल पटेल स्कूल की पढ़ाई कर रहे हैं। ऐसे में मृतक जिस कंपनी में कार्य करता था उसका फर्ज है कि इस स्थिति में वह आगे आए और उनके परिवार की मदद करे।