नर्मदा नदी में निकली तिरंगा यात्रा, हाथ में राष्ट्रध्वज लिए लहरों के बीच तैरे सैकड़ों तैराक, ढाई साल की बच्ची बनी आकर्षण का केंद्र

Atul Saxena
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Jabalpur News :  कल मंगलवार को आजादी की सालगिरह है,  इससे पहले देश में निकाली जा रही तिरंगा यात्राओं ने माहौल को देशभक्तिमय कर दिया है,  इस बीच जबलपुर में एक अनोखी तिरंगा यात्रा निकाली गई, नर्मदा नदी में सैकड़ों तैराक हाथ में तिरंगा थामे तैरते दिखाई दिए जिसने पूरे परिक्षेत्र को देश भक्ति के रंग में रंग दिया, तैराकों में ढाई साल की बच्ची की देशभक्ति देख सब उसके देशप्रेम के कायल हो गए।

नर्मदा नदी में निकली तिरंगा यात्रा, हाथ में राष्ट्रध्वज लिए लहरों के बीच तैरे सैकड़ों तैराक, ढाई साल की बच्ची बनी आकर्षण का केंद्र

स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आज नर्मदा में तिरंगा यात्रा निकाली गई। नर्मदा की तेज लहरों के बीच सैकड़ों तैराकों ने  अपने-अपने हाथों में राष्ट्रीय ध्वज लेकर 10 किलोमीटर का सफर तैरकर पूरा किया। नर्मदा नदी में निकली तिरंगा यात्रा सुबह 7 बजे शुरू हुई जो कि चार घंटे बाद तिलवाराघाट में जाकर संपन्न हुई।

नर्मदा नदी में निकली तिरंगा यात्रा, हाथ में राष्ट्रध्वज लिए लहरों के बीच तैरे सैकड़ों तैराक, ढाई साल की बच्ची बनी आकर्षण का केंद्र

14 अगस्त को हर साल की भांति इस साल भी नर्मदा में तिरंगा यात्रा निकाली गई। यात्रा में लोग अपने- अपने हाथों में तिरंगा लिए तेजी लहरें के बीच बढ़ रहे थे। ढाई साल की ओजस्विनी भी तिरंगा यात्रा में शामिल हुई और 10 किलोमीटर का सफर तिलवाराघाट तक तैरकर पूरा किया और तिरंगा यात्रा में आकर्षण केंद्र रही।

नर्मदा नदी में निकली तिरंगा यात्रा, हाथ में राष्ट्रध्वज लिए लहरों के बीच तैरे सैकड़ों तैराक, ढाई साल की बच्ची बनी आकर्षण का केंद्र

ओजस्विनी के पिता विनोद का कहना है कि नर्मदा तिरंगा यात्रा में वह कई सालों से शामिल हो रहे हैं। बीतें दो सालों से अब उसकी ढाई साल की बेटी ओजस्विनी भी शामिल हो रही है। 2022 में भी जब ओजस्विनी सिर्फ डेढ़ साल की थी, उस दौरान उसने नर्मदा तिरंगा यात्रा में भाग लिया था। तत्कालीन कलेक्टर डॉक्टर इलैयाराजा टी ने भी छोटी सी बच्ची के हौसलों को देखकर ना सिर्फ सराहा बल्कि उसके साथ तिरंगा यात्रा में शामिल हुए।

जबलपुर से संदीप कुमार की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ.... पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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