जबलपुर/संदीप कुमार
देश को आजादी मिले आज 70 साल से भी ज्यादा बीत गए हैं। देश कहां से कहां पहुंच गया है लेकिन पाटन तहसील के महगवां गांव आज भी अनदेखी का ग्रहण लगा हुआ है। इस गांव को आज तक सड़क नहीं मिल पाई है। चुनावी दौरे में कई नेता और अधिकारी गांव आते हैं और ग्रामीणों की समस्या सुनकर लंबा चौड़ा आश्वासन भी दिया जाता है। पर जैसे ही नेता गांव से बाहर जाते हैं तो भूल जाते हैं कि जबलपुर का यह गांव मूलभूत सुविधाओं से दूर है।
अब बारिश के मौसम को देखते हुए सड़क को लेकर ग्रामीणों के माथे में एक बार फिर चिंता की लकीरें घिर आई है है। उन्हें यह बात परेशान कर रही थी कि कीचड़ से लथपथ सड़क से बच्चे और बुजुर्ग कैसे आवागमन कर पाएंगे। ऐसे में ग्रामीणों ने अनूठा जज्बा दिखाते हुए इस समस्या का हल खुद ही ढूंढ लिया। गांव के सभी लोग इकट्ठे हुए और उन्होंने मन में ठान लिया कि अब सरकार से किसी भी तरह की मदद नहीं लेंगे और खुद ही हम सड़क बना डालेंगे। फिर क्या था लोग जुड़ते गए कारवां बढ़ता गया और ग्रामीणों ने अपनी डगर पर लगे उपेक्षा के ग्रहण को खुद ही मिटा दिया। हाथों में कुदाल फावड़ा आदि थामकर कच्ची सड़क पर बिछा दी मुरम। सभी ग्रामीणों ने मिलकर 4 दिन में 2 किलोमीटर की सड़क बना डाली। इसके लिए सभी ग्रामीणों ने खुद ही चंदा करके पैसों की व्यवस्था भी की और अपने गांव तक पहुंचने के लिए एक बढ़िया सड़क बना दी। अब यहां दिख रही है शानदार सड़क। ये जज्बा उन ग्रामीण लोगों के लिए उदाहरण बन गया है जो कि आज भी शासन प्रशासन की मदद के लिए मजबूर हैं। लगातार गांव उपेक्षा को देखते हुए ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा किया। किसी ने 100 रु तो किसी ने 500 रुपये दिये, तो किसी ने सड़क बनाने के लिए सिर्फ श्रमदान किया। इस तरह सभी ग्रामीणों ने मिलकर सिर्फ 4 दिन में ही 2 किलोमीटर की लंबी सड़क बना दी। अब इस सड़क से सुगमता से आवागमन हो रहा है। इधर पाटन एसडीएम सिद्धार्थ जैन भी मान रहे हैं कि दुर्भाग्यवश अभी तक इन मामलों के लिए सड़क नहीं बन पाई थी पर जब अब मामला सामने आया तो एसडीएम में जनपद सीईओ और तहसीलदार को मौके पर भेजकर ना सिर्फ सड़क की समस्या दूर करने की बात कही बल्कि गांव में अन्य मूलभूत सुविधाएं को भी दूर करने का आश्वासन दिया है।