जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश सरकार आखिर सिंधी खत्री समाज को क्यों ओबीसी सूची में शामिल नहीं कर रही है..इसको लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया था कि केन्द्र सरकार की ओबीसी सूची में सिंधी-खत्री शामिल है तो प्रदेश में क्यों नहीं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधिश मोहम्मद रफीक और जस्टिस वी.के शुक्ला की युगलपीठ ने इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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मध्यप्रदेश के सागर निवासी डॉ. कोमल ने सिंधी-खत्री की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा है की केन्द्र सरकार ने ओबीसी सूची में सिंधी-खत्री को रंगरेज माना गया है। केन्द्र सरकार द्वारा उन्हें साल 2000 में ओबीसी की सूची में शामिल गया था। नेशनल कमीशन ऑफ ओबीसी ने साल 2014 में अनुमोदित किया था कि राज्य सरकार अपनी ओबीसी सूची में सिंधी खत्री को शामिल करें, इसके बावजूद अभी तक राज्य सरकार द्वारा सिंधी खत्री को ओबीसी की सूची में शामिल नहीं किया गया है।
डॉ कोमल की याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग को अनावेदक बनाया गया है। हाई कोर्ट की युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय की है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अशोक लालवानी ने हाई कोर्ट में पैरवी की।