Digital Payment: क्यूआर कोड से बुक कर सकेंगे रेलवे का टिकट, इस दन से लागू होने जा रही यह सुविधा

कभी कभार ऐसा होता है कि यात्रियों के पास खुल्ले पैसे नहीं होने के कारण दिक्कतें झेलनी पड़ती है। फिलहाल इस सुविधा के लागू होने के बाद यात्रियों को खुल्ले पैसों के झंझट से निजात मिल जाएगी।

Shashank Baranwal
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Digital Payment: डिजीटल इंडिया मिशन के तहत रेलवे भी कैश लेस की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अब रेलवे स्टेशन में सामान्य और रिजर्वेशन टिकट के लिए काउंटर पर क्यूआर कोड लगने वाला है। यह सुविधा जबलपुर मंडल सहित प्रदेश के देश के 68 रेल मंडलों में मुहैया होने जा रही है। इस दौरान यात्री यूपीआई के जरिए भुगतान कर टिकटों को बुक कर सकेंगे।

इस दिन से लागू होने जा रही सुविधा

जबलपुर रेल मंड सहित पूरे देश के 68 रेल मंडलों में क्यूआर कोड की सुविधा नए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2024 से लागू होने जा रही है। इस सुविधा को लेकर जबलपुर रेलवे मंडल के सीनियर डीसीएम विश्वरंजन ने जानकारी दी है कि रेल यात्रियों को यूपीआई के जरिए टिकटों के बुकिंग की सुविधा 1 अप्रैल 2024 से प्रदान की जाएगी। इसके लिए रेलवे प्रशासन ने पूरी तैयारी कर ली है। इसके अलावा उन्होंने जानकारी दी है कि कुछ समय के बाद डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड के जरिए भी टिकट बुकिंग की सुविधा रेलवे प्रशासन मुहैया कराएगा।

कामर्शियल विभाग ने दिए निर्देश

पश्चिम मध्य रेलवे की तरफ से भोपाल, जबलपुर और कोटा रेलवे मंडलों के टिकट काउंटर पर यह सुविधा पूरी की जा चुकी है। इसके लिए कामर्शियल विभाग की ओर से 31 मार्च तक सुविधा को लागू करने के निर्देश सभी रिजर्वेशन सेंटर के प्रभारियों को दिया जा चुका है।

खुल्ले पैसों का झंझट होगा खत्म

कभी कभार ऐसा होता है कि यात्रियों के पास खुल्ले पैसे नहीं होने के कारण दिक्कतें झेलनी पड़ती है। फिलहाल इस सुविधा के लागू होने के बाद यात्रियों को खुल्ले पैसों के झंझट से निजात मिल जाएगी, क्योंकि वे यूपीआई के जरिए पेमेंट कर अपना टिकट आसानी से बुक कर सकते हैं।

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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