Jayanti Mata Waterfall : मध्यप्रदेश में घूमने के लिए एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है। वहीं मानसून के समय में सबसे ज्यादा लोग प्राकृतिक खूबसूरती को निहारने के लिए जाना पसंद करते हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा लोग वाटरफॉल घूमने के लिए जाते हैं। यहां के नजारे और ट्रैकिंग करने का मजा कुछ अलग ही एहसास दिलाता है। आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जो बेहद खूबसूरत होने के साथ-साथ प्रसिद्ध माता मंदिर के लिए जानी जाती है। यह जगह मध्य प्रदेश के खंडवा जिले से 90 किलोमीटर दूर नर्मदा के उत्तर तट पर विद्यांचल की सघन पहाड़ियों और घनघोर जंगलों के बीच बसी हुई है। यहां जयंती माता का मंदिर है। यह जगह बेहद और जागृत है।
हर मन्नत होती है पूरी
इस जगह को बाणासुर की तपस्थली भी कहा जाता है। कहा जाता है इस मंदिर में मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। इसी के लिए भक्त मंदिर में बंधी लोहे की जंजीर पर प्लास्टिक की पन्नी और नाडा बांध के मन्नत मांगते हैं। यह जगह बेहद ही खूबसूरत और ऐतिहासिक है। यहां के नजारे देखने लायक है। दूर-दूर से लोग यहां ट्रैकिंग करने के लिए सबसे ज्यादा आना पसंद करते हैं।
सैलानियों की रहती है भीड़
जयंती माता का प्राचीन मंदिर आस्था का केंद्र बना हुआ है। नवरात्रि के दौरान जगह पर सबसे ज्यादा भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है। यहां बने झरने में लोग नहाना की पसंद करते हैं। यहां एक गुफा भी है जहां माता का स्थान है। कहा जाता है पहले यहां माता की प्रतिमा एक छोटी कुटिया में विराजित थी। लेकिन बाद में बड़े स्वरूप में मंदिर बनाकर उसमें विराजत कर दी गई।
मंदिर से 200 फिट नीचे है झरना
जंगल के बीचो-बीच जयंती माता मंदिर से करीब 200 फीट नीचे प्राकृतिक झरना लोगों का खास आकर्षण का केंद्र है। यहां कई है वन प्राणी भी मौजूद है जिन्हें देखने का लुफ्त सैलानी उठाते हैं। यहां जो झरना है वह 12 महीने अनवरत बहता है। चाहे जितनी भी भीषण गर्मी क्यों ना हो यहां का झरना कभी भी नहीं सूखता।
ऐसे जाएं
अगर आप भी जयंती माता वॉटरफॉल जाना चाहते हैं तो आपको खंडवा से पुनासा 53 किलोमीटर दूर जाकर इंदिरा सागर डैम के रास्ते सतवास मार्ग पर करीब 20 किलोमीटर चलना होगा। उसके बाद आपको 17 किलोमीटर दूर जंगल के कच्चे रास्तों के बीच पैदल चलकर जयंती माता तक पहुंचना होगा। मंदिर से 300 मीटर पैदल चलकर आप झरने तक पहुंच सकते हैं।