सांसद गुमान सिंह ने 23 लाख 40 हजार की लागत के तीन आंगनवाड़ी केन्द्रों का किया लोकार्पण

झाबुआ,विजय शर्मा। सांसद गुमानसिंह डामोर ने प्रधानमंत्री के जन्म दिवस के अवसर पर गरीब कल्याण सप्ताह के अवसर पर जिले के नए जिला पंचायत सभा कक्ष में आयोजित पोषण त्योहार कार्यक्रम का मां सरस्वती का पूजन करन शुभारम्भ किया। सांसद डामोर ने इस अवसर पर ग्राम पंचायत पिटोल बड़ी के अवार फलिया, कसार बड़ी के उण्डवा फलिया तथा बिजलपुर में नव निर्मित आंगनवाड़ी केन्द्र भवनों का लोकार्पण किया।

इन आंगनवाडी केन्द्रों पर 23 लाख 40 हजार रूपये की लागत आई है। सांसद डामोर ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए गर्भवती बहनों का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। उनका सुरक्षित प्रसव करवाएं और प्रथम छः माह तक बच्चों की अच्छी देख भाल करेगें तो हमारे देश का भविष्य बहुत उज्जवल होगा। जिससे एक ऐसे भारत का निर्माण होगा और देश को परम वैभव की और ले जाएगा। सांसद डामोर ने कहा कि मैं लम्बे समय से पढ़ और देख रहा हूं कि विशेषकर हमारे अनुसूचित जनजाति बाहुल्य जिले है, वहां पर शिशु मृत्यु दर तथा मातृत्व मृत्यु दर का प्रतिशत सर्वाधिक है। झाबुआ जिला भी इस स्थिति से अपवाद नहीं है। बेटियों और बहनों में खुन की कमी का प्रतिशत लगभग 45 है और बच्चों का जन्म का प्रतिशत लगभग 48 है। इसका ईमानदारी से सर्वे किया जाए तो यह प्रतिशत इससे अधिक ही होगा। हम सब का यह कर्तव्य है कि देश को मजबूत बनाए। यहां का हर बच्चा एक अच्छा नागरिक बने। इसके लिये हम सब को इनकी देख भाल करना होगी।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।