आर्म्स एक्ट के आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार, 28 सालों से चल रहा था फरार

Gaurav Sharma
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झाबुआ, विजय शर्मा। जिले के लंबे समय से फरार चल रहे आरोपियों की धरपकड़ने का झाबुआ पुलिस द्वारा अभियान चलाया जा रहा है। झाबुआ के एसपी आशुतोष गुप्ता के द्वारा चलाए जा रहे अभियान में पुलिस को फिर एक बड़ी सफलता मिली है। 28 साल पहले किए गए अपराध में फरार आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस अधीक्षक झाबुआ आशुतोष गुप्ता ने बताया कि स्थाई एवं फरारी वारंटियों के धर-पकड़ अभियान के तारतम्य में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट झाबुआ के अपराधिक प्रकरण क्रमांक 381/1992 धारा 25(बी) आर्म्स एक्ट में आरोपी टेटीया पिता भारतीया गुण्डिया भील निवासी छोटी हीड़ी के विरुद्ध स्थाई वारंट जारी कर फरार घोषित किया गया था।

थाना कालीदेवी पुलिस को मुखबीर द्वारा सूचना मिली थी कि आरोपी टेटीया कई सालों से अपना घर छोड़कर जिला सिहोर में स्थाई रूप से पहचान पत्र बदलकर रह रहा है,जोकि कई सालों से पुलिस से लुकता-छिपता फिर रहा है। साथ ही अभी वो उसके घर छोटी हीडी आया हुआ है। मुखबीर की सूचना पर विश्वास कर थाना कालीदेवी पुलिस ने आर्म्स एक्ट के अपराध में वर्षो से फरार चल रहे आरोपी टेटीया को उसके घर छोटी हीडी से पकड़ने में सफलता प्राप्त की है। पुलिस अधीक्षक झाबुआ द्वारा आरोपियों की गिरफ्तार पर 10,000/- रूपये के ईनाम की उद्घोषणा की गई थी। थाना कालीदेवी पुलिस टीम को पुलिस अधीक्षक झाबुआ द्वारा उद्दघोषित ईनाम से पुरूस्कृत करने की घोषणा की है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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