दिग्विजय बोले “क्या अब मुख्यमंत्री से मिलने के लिए भी आप के थ्रू टाइम मांगे” कमलनाथ का जवाब “That is true”

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भोपाल डेस्क रिपोर्ट। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात को लेकर कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो को लेकर बीजेपी ने एक बार फिर कांग्रेस की वर्तमान स्थिति को लेकर निशाना साधा है।

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर किया है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात का समय ना मिलने की बात कहकर दिग्विजय सिंह चार दिन पहले धरने पर बैठे थे और उसी धरने में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भी पहुंचे थे। वीडियो में कमलनाथ किसानों की तरफ इशारा करके कहते नजर आ रहे हैं कि “दिग्विजय सिंह ने यह बात मुझे पहले नहीं बताई कि शिवराज होने मिलने का समय नहीं दे रहे हैं जबकि चार दिन पहले ही मेरी दिग्विजय से मुलाकात हुई थी।” इस पर दिग्विजय कहते हैं कि “बताने की जरूरत इसलिए नहीं समझी कि हम तो डेढ़ महीने से समय मांग रहे हैं। अब मुख्यमंत्री से समय मांगने के लिए भी आप के थ्रू समय मांगे क्या?” इस पर कमलनाथ कहते हैं “that is true” । बीजेपी के प्रवक्ता दुर्गेश केसवानी ने इस पर तंज कसते हुए कहा है कि दोनों नेताओं के बीच चल रही तनातनी अब सड़कों पर दिखाई दे रही है। उनका कहना है कि “इस वीडियो को देखने के बाद यह साफ जाहिर होता है कि कमलनाथ दिग्विजय सिंह से परेशान हो चुके हैं। जब कमलनाथ सरकार अस्तित्व में थी तो दिग्विजय सिंह शैडो मुख्यमंत्री के रूप में काम कर रहे थे और अब कमलनाथ कांग्रेस अध्यक्ष हैं तो दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस के शैडो अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं।”


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।