नहीं थम रहा मासूमों की मौत का सिलसिला, ट्रइबल हॉस्टल में एक और बालिका की मौत

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खंडवा /खालवा /रोशनी। सुशील विधानी।

खालवा ब्लाक के रोशनी स्थित एकलव्य स्कूल की पढ़ने वाली 11वीं कक्षा की छात्रा गुंजा पिता प्रकाश निवासी जामली राजगढ़ ब्लॉक पंधाना की एकलव्य हॉस्टल रोशनी में मौत का मामला सामने आया है।  गुंजा की मौत ने एक बार फिर एकलव्य स्कूल हॉस्टल सहित आदिवासी छात्रावासों एवं स्कूलों की व्यवस्थाओं पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। मासूमों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। गुंजा की मौत खून की कमी से होना बताया जा रहा है, अपने आप में यह बताने के लिए काफी है कि शिक्षा विभाग, आदिवासी विभाग, महिला बाल विकास विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाएं जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच रही है। 

एकलव्य छात्रावास में निवास व मृतक छात्रा गुंजा की मौत का कारण छात्रावास अधीक्षक खून की कमी होना बता रहे हैं। छात्रावास अधीक्षक के अनुसार 1 जनवरी को छात्रावास की तबीयत बिगड़ने पर गुंजा को रोशनी उप स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया गया था जहां डॉक्टर द्वारा मृतक छात्रा को सामान्य बताया गया था, जिसके पश्चात गुंजा को हॉस्टल में रखा गया था। छात्रावास अधीक्षक की माने तो भी सवाल यह है कि अगर रोशनी स्वास्थ्य केंद्र में छात्रा को दिखाया गया था एवं वह सामान्य थी तो अचानक ऐसा क्या हुआ कि छात्रा की मौत हो गई..? इस सवाल का जवाब छात्रावास अधीक्षक नहीं दे पाई । वहीं एकलव्य स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि उन्होंने अभी हाल ही में ज्वाइन किया है, उन्हें छात्रा के संबंध में ज्यादा जानकारी नहीं है। इस संबंध में जब आदिवासी आयुक्त रघुवंशी को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया जिसके चलते प्रशासन का अधिकारिक बयान नहीं आ पाया है।

वहीं मृतक छात्रा के पिता प्रकाश का कहना है कि उनकी बेटी जब अंतिम सांसे ले रही थी, तब उनकी बेटी को उन्हें सौंपा गया। उन्होंने अपनी बेटी को बचाने का पूरा प्रयास किया परंतु नहीं बचा पाए। मृतक छात्रा के पिता ने बताया कि उन्होंने जिला अस्पताल में प्राथमिक उपचार के पश्चात प्राइवेट अस्पताल में ले जाकर बेटी को बचाने की पूरी कोशिश की परंतु बेटी की मौत हो गई। बता दें कि प्रत्येक हॉस्टल एवं स्कूल में नियमानुसार डॉक्टर के  समय अंतराल पर बच्चों के मेडिकल चेकअप की व्यवस्था शासन द्वारा बनाई गई है।  इस घटना से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि इस व्यवस्था का जमीनी स्तर पर पालन नहीं किया जा रहा। ठीक इसी प्रकार महिला बाल विकास विभाग द्वारा बालिकाओं छात्राओं एवं महिलाओं में होमो ग्लोबिन की कमी ना हो इसके लिए दर्जनभर योजनाएं संचालित की जा रही है। खून की कमी के चलते आदिवासी छात्रावास की बालिका की मौत महिला बाल विकास विभाग के दावे खोलने के लिए जीता जागता प्रमाण है। मौत के मामले में जांच होने के आदेश होते हैं लेकिन कभी आरोपियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे लापरवाही के चलते मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।


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