कलेक्टर को दिया गया ज्ञापन, मांगलिक आयोजनों पर लगी प्रशासनिक बंदिशों को हटाने की मांग

खंडवा, सुशील विधाणी। करोना महामारी के चलते 4 माह से मांगलिक आयोजन नहीं होने के कारण मांगलिक आयोजन से जुड़े सभी लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है । मांगलिक परिसर टेंट व्यवसाय, लाइट व्यवसाय, कैटरीन हलवाई फोटोग्राफर सहित इससे जुड़े अन्य लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। हमारी राज्य शासन से यही अनुमति चाहिए कि सभी मांगलिक परिसरों को शुरू करने की अनुमति दी जाए ,जिससे हमारा व्यापार व्यवसाय फिर से शुरू हो जाए। इसी को लेकर आज कलेक्टर कार्यालय में ज्ञापन दिया गया।

ज्ञापन में लिखा गया कि कोरोना महामारी के खिलाफ देशहित में सही समय पर उठाये गये ऐतिहासिक कदम पर मांगलिक आयोजनकर्ता सदस्य इस महामारी की समस्या से केन्द्र व राज्य सरकार के निर्देशानुसार नियमों का पालन करते हुये लड़ने के लिये आज भी आपके साथ हैं । भारतीय व्यवस्था को सुचारु करने के लिये प्रत्येक वर्ग का ध्यान रखते हुऐ आपके द्वारा सराहनीय कार्य किये जा रहें। उसी कड़ी में मांगलिक आयोजनों एवं उससे जुड़े बन्धुओं की निम्न समस्याओं के निराकरण हेतु संबंधित मंत्री – जनप्रतिनिधि – अधिकारी को आदेश देकर कृतार्थ करें। अप्रैल से मई माह तक शादियों व अन्य मांगलिक कार्यों का सीजन होता हैं, कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन के कारण पूरा सीजन खराब हो गया हैं ।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।