खंडवा फायरिंग रेंज में पुलिसकर्मियों ने साधा निशाना, गूंजी गोलियों की आवाज

खंडवा, सुशील विधानी। हरसूद रोड पर स्थित फायरिंग रेंज दो दिनों से गोलियों की आवाज से गूंज रही है। यहां पुलिसकर्मी चांदमारी (शस्त्र अभ्यास) कर रहे हैं। दो दिन में 478 पुलिसकर्मियों ने यहां निशाना साधा है। इंसास, थ्री नॉट थ्री और एसएलआर से फायर किए गए। एक पुलिसकर्मी को 10-10 राउंड फायरिंग के लिए दिए गए। इस तरह से दो दिन में 14 हजार 340 गोलियां चलाई गईं। यहां पुलिस अधीक्षक विवेक सिंह भी पहुंचे और उन्होने भी निशाना साधा।

पुलिसकर्मियों को शस्त्र चलाने का अभ्यास (चांदमारी) कराया जा रहा है। चांदमारी के लिए हरसूद रोड स्थित फायरिंग रेंज में व्यवस्था की गई है। शनिवार को शस्त्र अभ्यास का दूसरा दिन रहा। सुबह करीब 7 बजे से यहां पुलिसकर्मियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। चांदमारी प्रभारी ट्रैफिक डीएसपी संतोष कोल और आरआई पुरुषोत्तम विश्नोई भी फायरिंग रेंज में मौजूद रहे। यहां आर्मरर (शस्त्र साज) राजेंद्र ठाकुर ने पुलिसकर्मियों इंसास, थ्री नॉट थ्री और एसएलआर के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह से इन हथियारों से निशाना साधा जाता है। इन्हें चलाते समय किस तरह की सावधानी रखना चाहिए। एक बार में 10 पुलिसकर्मियों से फायरिंग कराई गई। इस दौरान आर्मरर ठाकुर ने सभी पर बारीकी से ध्यान रखा। सूबेदार देवेंद्र सिंह परिहार भी पुलिसकर्मियों को निगरानी रख रहे थे ताकि उनसे किसी तरह की भूल ना हो। चांदमारी प्रभारी डीएसपी कोल ने बताया कि बुधवार से चांदमारी की जा रही है। पुलिसकर्मियों को शस्त्र अभ्यास कराया गया। दो दिन में 378 पुलिसकर्मियों ने इंसास, थ्री नॉट थ्री और एसएलआर से गोलियां चलाई है। गोली चलाने वाले सभी आरक्षक और प्रधान आरक्षक हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस कहीं हथियारों को चलाना भूल न जाएं इसलिए साल में एक बार विशेष रूप से चांदमारी का आयोजन किया जाता है। इसमें पुलिसकर्मियों को अलग-अलग हथियारों से फायरिंग कराई जाती है। जिले के अलग-अलग थानों से आरक्षक और प्रधान आरक्षकों से फायरिंग कराई गई।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।