खरगोन, बाबूलाल सारंग। लाखन सिंह राजपूत को बड़वाह पुलिस ने स्वयं के गुमशुदा पुत्र की कृषि भूमि को फर्जी कागजो पर बेचे जाने के आरोप में बड़वाह पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है| मामले में स्थानीय पुलिस थाने में लाखन सिंह राजपूत की बहू ने ही रिपोर्ट दर्ज कराई थी| जिस पर पुलिस ने पूरे मामले की जांच कर पूरे मामले का खुलासा किया है| पुलिस थाने पर सोमवार को अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) जितेन्द्र सिंह पंवार ने प्रेस कांफ्रेंस में पूरे मामले का पर्दाफाश किया| उन्होंने कहा कि 11 जुलाई 2021 को फरियादिया मनोज पति नेत्रपालसिंह यादव निवासी शिकारपुर जिला मुरैना के द्वारा थाना बड़वाह पर लिखित शिकायत आवेदन पत्र पेश किया गया था जिसमें बताया गया कि उसके पति नेत्रपालसिंह पिछले 06 वर्ष से लापता है,जिनकी गुमशुदगी रिपोर्ट पुलिस थाना माता बसैया जिला मुरैना में दर्ज होकर पुलिस द्वारा उनकी तलाश की जा रही है| उसके पति नेत्रपालसिंह के नाम की ग्राम कटघड़ा थाना बड़वाह मे स्थित कृषि भूमि को कोई व्यक्ति फर्जी नेत्रपाल सिंह बनकर धोखे से हड़पना चाहता है| इस संबंध मे रजिस्ट्रार कार्यालय बड़वाह मे 23 जनवरी 2021 को नेत्रपालसिंह के नाम से अरविन्द तिवारी नाम के व्यक्ति के पक्ष मे पॉवर ऑफ अटॉर्नी संपादित कराई गई जिसके आधार पर अरविंद तिवारी द्वारा दिनांक 04.अगस्त 2021 को रजिस्ट्रार कार्यालय खरगोन से राजेश वर्मा नाम के व्यक्ति को उक्त कृषि भूमि विक्रय कर रजिस्ट्री कर दी गई| आवेदन पत्र की जांच एवं संकलित साक्ष्यो के आधार पर थाना बड़वाह मे अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया| प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए पुलिस अधीक्षक खऱगोन शैलेन्द्रसिंह चौहान द्वारा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक खरगोन (ग्रामीण) जितेन्द्रसिंह पंवार, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक खरगोन (शहर) डॉ. नीरज चौरसिया, एस.डी.ओ.पी. बड़वाह मानसिंह ठाकुर के निर्देशन मे थाना प्रभारी बड़वाह संजय द्विवेदी एवं बड़वाह थाने की पुलिस टीम को मामले का खुलासा करने एवं आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए लगाया गया था|
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इस साजिश में गुमशुदा नेत्रपाल का पिता ही मुख्य साजिशकर्ता एवं आरोपी है| फरियादिया का ससुर लाखनसिंह राजपूत वर्ष 1996 से 2007 तक बड़वाह ब्लॉक मे वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के पद पर पदस्थ रहा था| इस दौरान उसने अपने पुत्र नेत्रपालसिंह के नाम पर ग्राम कटघड़ा मे 1.517 हेक्टेयर कृषि भूमि क्रय की थी| वर्ष 2015 से लाखनसिंह का पुत्र नेत्रपालसिंह गुमशुदा होने एवं अभी तक उसके संबंध मे कोई जानकारी प्राप्त नही होने के कारण, लाखनसिंह अपने गुमशुदा पुत्र के नाम पर दर्ज उक्त कृषि भूमि को पारिवारिक अनबन होने के कारण नेत्रपालसिंह की पत्नि व बच्चो को नही देना चाहता था किन्तु नेत्रपाल के आधार कार्ड एवं जमीन संबंधी दस्तावेज लाखनसिंह के पास नही थे इस कारण उसके द्वारा अपने अन्य साथियों 1. दरबारसिंह राजपूत, 2. राजेश कुमार वर्मा, 3. जितेन्द्र सक्सेना, 4. अरविंद तिवारी के साथ मिलकर साजिश रची गई और बड़वाह रजिस्ट्रार कार्यालय मे नेत्रपाल के स्थान पर जितेन्द्र सक्सेना को प्रस्तुत कर अरविंद तिवारी के पक्ष मे पॉवर ऑफ अटॉर्नी रजिस्टर्ड कराई गई| उक्त पॉवर ऑफ अटॉर्नी के आधार पर रजिस्ट्रार कार्यालय खरगोन मे उक्त जमीन की रजिस्ट्री अरविंद तिवारी द्वारा राजेश वर्मा के पक्ष मे संपादित कराई गई| इसके पश्चात आरोपी लाखनसिंह अपने पुत्र नेत्रपाल के नाम पर इन्दौर विकास प्राधिकरण का स्कीम नम्बर 136 मे स्थित 14370 स्क्वेयर फीट का व्यावसायिक प्लॉट जिसकी वर्तमान कीमत लगभग दस करोड़ है,उसे भी अपने इन्ही साथियों के साथ इसी तरीके से विक्रय करने की साजिश रच रहा था| इंदौर विकास प्राधिकरण के संबंधित अधिकारियो एवं जिस क्रेता से उक्त प्लॉट को विक्रय करने की बातचीत चल रही थी उनको अपने गुमे हुए लड़के नेत्रपाल के वापिस आने की कहानी पर विश्वास दिलाने के लिए नेत्रपाल के आधार कार्ड से लिंक मोबाईल सिम पर प्राप्त हुए ओटीपी का उपयोग किया गया |
उक्त प्रकरण में आरोपियों की पतारासी एवं गिरफ़्तारी में अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) अनुभाग बडवाह श्री मानसिंह ठाकुर के मार्गदर्शन एवं थाना प्रभारी बडवाह निरीक्षक श्री संजय द्विवेदी के नेतृत्व में उनि रामआसरे यादव, आर. दिवान तिरोले, आर. सुर्या, आर. राहुल गुर्जर, आर. कैलाश सागरिया, आर. दिलीप पाटीदार एवं आर. अभिलाष डोगरे पुलिस अधीक्षक कार्यालय खरगोन की सराहनीय भूमिका रही।