Fri, Dec 26, 2025

अगर 12 साल से पुरानी बस चला रहे हैं स्कूल तो हो जाएं सावधान, हाई कोर्ट के सख़्त निर्देश, स्पीड गवर्नर और GPS को लेकर भी कही बात

Written by:Bhawna Choubey
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MP High Court Guidelines: मध्य प्रदेश मोटर व्हीकल एक्ट 1994 की गाइडलाइंस के सख़्ती से पालन करने की भी कही बात। इंदौर 2018 स्कूल बस हादसे के बाद लगाई गई थी याचिका।
अगर 12 साल से पुरानी बस चला रहे हैं स्कूल तो हो जाएं सावधान, हाई कोर्ट के सख़्त निर्देश, स्पीड गवर्नर और GPS को लेकर भी कही बात

MP High Court Guidelines: मध्य प्रदेश में स्कूल बसों के हादसों को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने अहम फैसला सुनाया है। बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने सरकार से स्कूल बसों के संचालन के लिए विशेष गाइडलाइन जारी करने की बात कही है। इसके तहत स्कूल बसों के रजिस्ट्रेशन, प्रबंधन और संचालन से जुड़े नियमों को एमपी मोटर व्हीकल एक्ट 1994 में शामिल किया जाएगा।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने स्कूल की बसों की सुरक्षा को लेकर सख्त निर्देश जारी किए हैं। कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश के सभी स्कूलों में 12 साल से पुरानी बसों का संचालन नहीं होगा। इसके अलावा बसों में स्पीड गवर्नर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य होंगे, ताकि बसों को ट्रैक किया जा सके।

बस में एक शिक्षक को तैनात किया जाए

इतना ही नहीं कोर्ट ने यह भी निर्देश दिए हैं कि हर बस में एक शिक्षक को तैनात किया जाए, जो आखिरी स्टॉप तक बस में मौजूद रहे। वहीं अगर छात्रों को ऑटो रिक्शा के जरिए लाया जाता है तो उसमें चार से ज्यादा लोग नहीं बैठ सकेंगे। इसके साथ ही RTO और पुलिस अधिकारियों को इन गाइडलाइनों का पालन सख्ती से सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया है। इन निर्देशों का उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा को सबसे ऊपर रखना है और स्कूल बसों में सुधार लाना भी है।

ड्राइवर और कंडक्टर की निगरानी पर हाई कोर्ट के निर्देश

इसके साथ ही हाई कोर्ट ने स्कूल बसों के ड्राइवर और कंडक्टर की नियमित जांच करने और उनके आपराधिक इतिहास पर नजर रखने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान में जो नियम ट्रांसपोर्ट व्हीकल के लिए है उन्हें स्कूल बसों के लिए भी लागू किया जाना चाहिए।

स्कूल बसों के लिए हाईकोर्ट की जरूरी गाइडलाइन

1. स्कूल बस का रंग पीला होना चाहिए और उस पर ‘स्कूल बस’ या ‘ऑन स्कूल ड्यूटी’ लिखा होना जरूरी है। ऐसा इसलिए ताकि स्कूल की बसों को आसानी से पहचाना जा सके।

2. स्कूल बस पर स्कूल का नाम, पता, टेलीफोन नंबर और व्हीकल इंचार्ज के संपर्क नंबर की पट्टी लगाना जरूरी है। ताकि, इससे बस की पहचान स्पष्ट हो सके और इमरजेंसी स्थितियों में तुरंत संपर्क किया जा सके।

3. स्कूल बस की खिड़कियों में ग्रिल लगनी चाहिए ताकि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखा जा सके। इसके अलावा फिल्मी और रंगीन कांच का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ सकता है।

4. स्कूल बसों में फर्स्ट एड किट और फायर एक्सटिंग्विशर यंत्र होना अनिवार्य है। यह दोनों उपकरण किसी भी इमरजेंसी स्थिति में तुरंत मदद प्रदान करते हैं। फर्स्ट एड किट में चोटों और बीमारियों के लिए जरूरी सामान होता है। जबकि अग्निशमन यानी फायर एक्सटिंग्विशर यंत्र किसी आग की घटना को कंट्रोल कर सकता है।

5. बस सहायक को बच्चों को सुरक्षित तरीके से बैठाने और उतरने का सही तरीका सिखाना जरूरी है। इसके साथ ही उन्हें इमरजेंसी स्थिति में कैसे काम करना है यह भी सिखाना चाहिए। ताकि किसी भी प्रकार की इमरजेंसी स्थिति में वे आसानी से मदद कर सकें।

6. ड्राइवर के पास स्थायी लाइसेंस होना चाहिए और उसे कम से कम 5 साल का अनुभव होना जरूरी है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि ड्राइवर को वाहन चलाने का पर्याप्त अनुभव और कौशल है या नहीं।

7. ऐसे ड्राइवर को न रखें, जिन पर ओवर स्पीडिंग, शराब या नशा करके गाड़ी चलाने या लेन सिस्टम और सिग्नल तोड़ने के लिए जुर्माना या चालान किया गया हो। यह ड्राइवर बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं।

8. संस्था को ड्राइवर से नियुक्ति के समय एक शपथ पत्र भी प्राप्त करना चाहिए। इस शपथ पत्र में ड्राइवर को यह बताना होगा कि वह सभी सुरक्षा नियमों का पालन करेगा, बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा और कोई भी अपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं होगा।

9. स्कूल बस में सिर्फ और सिर्फ विद्यार्थी, शिक्षक या पालक ही बैठ सकेंगे। इस नियम का उद्देश्य स्कूल बसों में केवल वही लोग हो जो बच्चों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है, ताकि अनावश्यक व्यक्तियों की उपस्थिति से कोई खतरा पैदा ना हो।

10. स्कूल बसों में विद्यार्थियों के बैग रखने के लिए उचित व्यवस्था होनी चाहिए। इससे न केवल बच्चों को सुविधा होती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित होता है कि उनका सामान सुरक्षित तरीके से रखा हुआ है, बैग रखने की व्यवस्थित जगह की वजह से बच्चे भी अच्छी तरह से बैठ पाते हैं।

जानें क्या था पूरा मामला

दअरसल, 5 जनवरी 2018 को दिल्ली पब्लिक स्कूल (DPS) निपानिया की बस एक दुर्घटना का शिकार हुई थी, जिसमें चार छात्रों और बस ड्राइवर की मौत हो गई थी। इस दुर्घटना के बाद शहर वासियों और अभिभावकों ने स्कूल बसों और ऑटो की सुरक्षा को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस मामले पर सुनवाई के दौरान जस्टिस विवेक रुसिया और जस्टिस बिनोद कुमार द्विवेदी की डिवीजन बेंच ने एक अहम फैसला सुनाया। इसी के तहत कोर्ट ने स्कूल बस और ऑटो के लिए नई गाइडलाइन जारी की ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।