शराब लाइसेंस के आवेदन पर पशुपतिनाथ मंदिर, बीजेपी विधायक ने की आपत्ति

Yashpal Singh Sisodiya

मंदसौर डेस्क रिपोर्ट। मंदसौर के पीआरओ ट्विटर अकाउंट पर दिया गया एक विज्ञापन बवाल का विषय बन गया है। शराब लाइसेंस के लिए जारी किए गए इस विज्ञापन में भगवान पशुपतिनाथ मंदिर के साथ एक अन्य मंदिर का चित्र है जिसे लेकर बीजेपी विधायक ने घोर आपत्ति की है।

पीआरओ जनसंपर्क मंदसौर के ट्वीटर अकाउंट पर दिए गए विज्ञापन में आकस्मिक लाइसेंस तीन श्रेणियों में जारी करने के बारे में कहा गया है। इसके विस्तृत विवरण में बताया गया है कि यह लाइसेंस आबकारी विभाग द्वारा शादी विवाह, समारोह और पार्टी जैसे अवसरों पर मेहमानों को शराब उपलब्ध कराने के लिए तीन दिन के लिए आकस्मिक लाइसेंस जारी किया जाता है। विभाग द्वारा इसके आवेदन को ऑनलाइन किया गया है। नीचे जनसंपर्क विभाग के साथ-साथ जिला जनसंपर्क कार्यालय मंदसौर का चित्र है जिसमें भगवान पशुपतिनाथ का मंदिर और धर्मराजेश्वर के मंदिर को दिखाया गया है। बीजेपी के मुखर विधायक यशपाल सिसोदिया ने ट्वीट करके इसकी आलोचना की है और उन्होंने लिखा है कि शराब की उपलब्धता सुनिश्चित कराने को लेकर जनसंपर्क विभाग के द्वारा पशुपतिनाथ मंदिर और धर्मराजेश्वर के प्रचार प्रसार हेतु डिजाइन किए गए चित्रों के साथ जानकारी देना कदापि उचित नहीं होकर आपत्तिजनक है। संबंधित अधिकारी इसे संज्ञान में लें।विधायक जी की आपत्ति पर क्या कार्रवाई होती है, यह तो देखने वाली बात है लेकिन यह बात पर है कि यदि यह विज्ञापन नहीं हटा तो बवाल मचना तय है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।