अवैध रेत उत्खनन ने दतिया जिले में एक मर्चेंट नेवी अफसर की जान ले ली। अफसर किशंकू उर्फ चीकू शनिवार की सुबह अपने दोस्तों के साथ सिंध नदी में नहाने गया था, जहां रेत माफियाओं द्वारा खोदे गए गड्ढे में डूबकर उसकी जान चली गई। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि वर्षा ऋतु में मध्य प्रदेश में रेत उत्खनन पर प्रतिबंध के बावजूद ग्वालियर और दतिया जिले में अवैध रेत उत्खनन धड़ल्ले से जारी है, जिसे स्थानीय प्रशासन और पुलिस का संरक्षण प्राप्त है।
दतिया जिले के उचाड़ गांव की सरपंच रेनू चतुर्वेदी के परिवार में मातम छाया हुआ है। दरअसल, अपने परिवार की इकलौती आशा और अमेरिका की विदेशी कंपनी मार्च में कैप्टन किशंकू उर्फ चीकू अब इस दुनिया में नहीं रहा। 28 साल का किशंकू शनिवार की सुबह अपने दोस्तों के साथ सिंध नदी में नहाने गया था।
रेत माफिया ने पनडुब्बियों डालकर उत्खनन किया
हालांकि उसके पिता ने कहा था कि नदी में गहरे-गहरे गड्ढे हो गए हैं और वहां खतरा है, लेकिन किशंकू ने पिता को आश्वस्त किया कि उसे तैरना आता है और कोई खतरे की बात नहीं है। लेकिन किशंकू को पता नहीं था कि सिंध नदी में रेत माफिया ने पनडुब्बियों डालकर इतना उत्खनन किया है कि वहां गहरे-गहरे गड्ढे हो गए हैं। तैरते हुए किशंकू गहरे गड्ढे में चला गया और फिर लौटकर नहीं आ पाया। रविवार की सुबह उसका शव बरामद हुआ।
अवैध उत्खनन की गई रेत उत्तर प्रदेश में बिकने जाती है
दरअसल, दतिया और ग्वालियर जिले में अवैध रेत उत्खनन जोर पर है और सारी अवैध उत्खनन की गई रेत उत्तर प्रदेश में बिकने जाती है। हैरत की बात यह है कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा वर्षा काल में रेत के उत्खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद रेत का अवैध उत्खनन धड़ल्ले से जारी है। दरअसल, खनिज विभाग, पुलिस और प्रशासन की मिलीभगत के चलते रेत माफिया के हौसले बुलंद हैं और स्थानीय राजनेता भी इन्हें संरक्षण देते हैं। हालांकि सवाल यह भी है कि अवैध रेत उत्खनन के इस खेल के चलते एक परिवार की खुशियां उजड़ गईं और जवान बेटा इस दुनिया में नहीं रहा। उसकी भरपाई कौन करेगा और क्या पुलिस और प्रशासन अवैध उत्खनन करने वाले इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का साहस जुटा पाएंगे?





