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Sun, Dec 7, 2025

श्योपुर स्कूल में मिड डे मील का हाल! बच्चों को रद्दी पेपर पर परोसा गया खाना, वीडियो वायरल

Written by:Bhawna Choubey
मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में सरकारी स्कूल की शर्मनाक तस्वीर सामने आई। बच्चों को जमीन पर बैठाकर रद्दी कागज़ पर मिड डे मील परोसा गया। वायरल वीडियो के बाद प्रशासन में मचा हड़कंप, शिक्षक सस्पेंड और सहायता समूह निरस्त।
श्योपुर स्कूल में मिड डे मील का हाल! बच्चों को रद्दी पेपर पर परोसा गया खाना, वीडियो वायरल

मध्य प्रदेश सरकार जहां एक ओर सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था और बच्चों के पोषण को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, वहीं श्योपुर (Sheopur)  से आई एक तस्वीर ने इन दावों की पोल खोल दी है। यहां के एक मिडिल स्कूल में बच्चों को मिड डे मील किसी थाली या प्लेट में नहीं, बल्कि रद्दी कागज़ पर परोसा गया।

विजयपुर विकासखंड के तिरंगापुरा मिडिल स्कूल की यह घटना अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गई है। वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों में गुस्सा फैल गया। सवाल उठने लगे हैं कि आखिर बच्चों के साथ ऐसा अमानवीय बर्ताव क्यों किया गया, वो भी उस योजना के तहत जो बच्चों के पोषण और सम्मान के लिए चलाई जाती है।

जमीन पर बैठाकर परोसा गया खाना

इस घटना का वीडियो जब सामने आया, तो हर कोई हैरान रह गया। वीडियो में देखा गया कि बच्चों को स्कूल के बाहर बिना किसी चारपाई, पट्टी या कुर्सी के सीधे जमीन पर बैठाया गया था। उनके सामने थाली या प्लेट नहीं थी, बल्कि फटे-पुराने कागज़ के टुकड़ों पर भोजन परोसा गया था।

मिड डे मील का उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक आहार देना है ताकि वे भूख से विचलित हुए बिना पढ़ाई पर ध्यान दे सकें। लेकिन श्योपुर के इस स्कूल में यह योजना मानवीयता की हदें पार कर चुकी है। बच्चों को जिस तरह से खाना दिया गया, उसे देखकर किसी का भी दिल दहल जाए। माता-पिता तक यह खबर पहुंची तो उन्होंने भी नाराजगी जताई कि हमारे बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं, लेकिन उनके साथ ऐसा बर्ताव किया जा रहा है जो जेल के कैदियों के साथ भी नहीं होता।

प्रशासन में हड़कंप, कलेक्टर ने की सख्त कार्रवाई

जैसे ही वीडियो वायरल हुआ, प्रशासन हरकत में आ गया। श्योपुर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारी के.सी. गोयल को जांच के आदेश दिए। प्राथमिक जांच में यह पुष्टि हुई कि मध्यान्ह भोजन वितरण में भारी लापरवाही की गई थी। कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से स्कूल के शिक्षक को निलंबित कर दिया और संतोषी स्व सहायता समूह, जो भोजन वितरण की जिम्मेदारी संभाल रहा था, उसे निरस्त कर दिया गया। कलेक्टर का कहना है कि, वीडियो सामने आने के बाद हमने तुरंत कार्रवाई की है। शिक्षक को निलंबित किया गया है और संबंधित समूह को ब्लैकलिस्ट किया जा रहा है। जांच पूरी होने पर आगे की कड़ी कार्रवाई भी की जाएगी।

मिड डे मील योजना का उद्देश्य और जमीनी हकीकत

मिड डे मील योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों को पौष्टिक भोजन देना है ताकि कुपोषण कम हो और स्कूल में उपस्थिति बढ़े। लेकिन ज़मीनी स्तर पर यह योजना कई बार भ्रष्टाचार, लापरवाही और अव्यवस्था की भेंट चढ़ जाती है।

क्या कहता है शिक्षा विभाग और जनता का गुस्सा

घटना के बाद शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि ऐसी घटनाओं को दोहराने नहीं दिया जाएगा और सभी स्कूलों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं कि बच्चों को साफ-सुथरे बर्तनों में ही भोजन परोसा जाए। लेकिन जनता इस पर भरोसा करने को तैयार नहीं दिख रही।

स्थानीय लोगों का कहना है

सरकारी स्कूलों में बच्चे गरीब घरों से आते हैं। अगर उनके साथ भी ऐसा व्यवहार होगा तो फिर कौन अपने बच्चों को सरकारी स्कूल भेजेगा? सरकार दावे बहुत करती है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। सोशल मीडिया पर लोग शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन को आड़े हाथों ले रहे हैं। कई लोगों ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में सिर्फ निलंबन से काम नहीं चलेगा, बल्कि स्थायी सुधार की जरूरत है।

क्यों जरूरी है मिड डे मील जैसी योजनाओं में पारदर्शिता

मिड डे मील जैसी योजनाएं सिर्फ पेट भरने का साधन नहीं हैं, बल्कि यह बच्चों के भविष्य को पोषित करने की नींव हैं। जब इन योजनाओं में लापरवाही होती है, तो उसका असर बच्चों के स्वास्थ्य और पढ़ाई दोनों पर पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाएं तभी रुकेंगी जब स्कूल स्तर पर कठोर मॉनिटरिंग सिस्टम, मासिक ऑडिट, और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। अगर सरकार वास्तव में हर बच्चे तक शिक्षा और पोषण के अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहती है, तो उसे इस तरह की घटनाओं को केवल सस्पेंशन से नहीं, बल्कि सिस्टम सुधार से रोकना होगा।