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Thu, Dec 18, 2025

ग्वालियर के बिलौआ क्षेत्र में देखने को मिल रहा खनन माफिया का आतंक, प्रशासन और राजनीतिक संरक्षण मिलने का भी लगा आरोप

Written by:Rishabh Namdev
Published:
बिलौआ क्षेत्र में एक बार फिर अवैध खनन का मामला चर्चा में आया है। दरअसल यहां खनन माफिया ने प्रशासन और राजनीतिक ताकत के गठजोड़ का फायदा उठाते हुए उत्खनन शुरू किया है।
ग्वालियर के बिलौआ क्षेत्र में देखने को मिल रहा खनन माफिया का आतंक, प्रशासन और राजनीतिक संरक्षण मिलने का भी लगा आरोप

ग्वालियर के बिलौआ क्षेत्र में अवैध खनन माफियाओं की गतिविधियां तेजी से बढ़ती हुई दिखाई दे रही हैं। दरअसल माफिया खुले तौर पर अवैध उत्खनन में लगे हुए हैं। जानकारी के अनुसार इसमें उन्हें राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण का भी लाभ मिलता हुआ दिख रहा है। गौरतलब है कि स्थानीय खनिज विभाग और पुलिस की नाकामी के चलते ये गैरकानूनी गतिविधियां बिना किसी बाधा के चल रही हैं।

सूत्रों के मुताबिक, नायब तहसीलदार के साले संदीप शर्मा पर बिना अनुमति अवैध खनन के आरोप लगाए गए हैं। जानकारी के अनुसार संदीप ने अपने जीजा के प्रभाव का फायदा उठाते हुए पड़ोसी किसान आमीन हुसैन की जमीन पर कब्जा कर खनन कार्य शुरू किया है। वहीं आमीन हुसैन ने कई बार ग्वालियर कलेक्टर और खनिज विभाग से शिकायत भी की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

शिकायतों के बाद खनिज विभाग ने एक खदान पर छापा मारा

दरअसल हाल ही में, फरियादी किसान आमीन हुसैन की लगातार की गई शिकायतों के बाद खनिज विभाग ने बिलौआ की एक खदान पर छापा मारा और अवैध खनन में इस्तेमाल हो रही एक एलएनटी मशीन को जब्त किया है। वहीं खनिज अधिकारी प्रदीप भूरिया ने पुष्टि की कि संदीप शर्मा के पास खनन की कोई वैध अनुमति नहीं थी, उन्हें केवल पहले से खोदी गई खदान से पत्थर उठाने का अधिकार दिया गया था।

वहीं किसान आमीन हुसैन ने संदीप शर्मा पर धमकाने का बड़ा आरोप भी लगाया है। जानकारी के अनुसार किसान आमीन हुसैन ने पुलिस के पास कॉल रिकॉर्डिंग के साथ शिकायत दर्ज करवाई है। वहीं हुसैन का दावा है कि संदीप शर्मा ने उन्हें यह कहते हुए धमकी दी कि उनकी शिकायतों का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि उनके पास राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण का मजबूत आधार है।

हालांकि अब सवाल यह उठ रहे हैं कि प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करेगा? कब अवैध खनन और माफियाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे? या फिर इस मामले को ठंडा कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि यदि खनन माफियाओं का यह आतंक ऐसे ही चलता रहा, तो क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा को भारी नुकसान पहुंच सकता है और किसानों की जमीनें भी इसी तरह खतरे में आ सकती हैं।