प्रभारी मंत्री, माला और अधिकारी: तीसरे दौर में जारी, मंत्री बोले ऐसे भी होता है सुधार

Atul Saxena
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अशोक नगर, हितेंद्र बुधौलिया।  मध्यप्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर (pradhyuman singh tomar) अशोकनगर जिले के प्रभारी मंत्री बनने के बाद आज शनिवार को तीसरी बार अशोकनगर के दौरे पर आए। पुराने दोस्तों की तरह इस बार भी प्रभारी मंत्री ने खराब व्यवस्थाओं से नाराजगी व्यक्त करने के अपने तरीके को फिर आजमाया, हर बार की तरह प्रभारी मंत्री ने एक अधिकारी के गले में माला डाली एवं उन्हें सही से काम करने की हिदायत दी। इस बार प्रभारी मंत्री ने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क विभाग के सहायक महाप्रबंधक वीके जैन को माला पहनाई । दरअसल तुलसी सरोवर पार्क के पास आवरी रोड की दुर्दशा को देखते हुए नाराजगी व्यक्त करने के लिए मंत्री जी ने यह कदम उठाया।

प्रद्युम्न सिंह तोमर पहली बार जब अशोकनगर जिले के दौरे पर आए थे, तो उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण किया था और यहां अव्यवस्थाओं को देखकर सिविल सर्जन डॉ जसराम त्रिवेदिया को माला पहनाकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का निवेदन किया था। कुछ दिन पहले ही दूसरे दौरे पर जब आए तो फावड़े से नालियों को साफ कर नगर पालिका सीएमओ पी के सिंह के गले में माला डालकर उन्हें अपना काम दुरुस्त करने का फरमान सुनाया था। साथ ही अपने ही विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर श्रवण पटेल को भी खुली डीपीयों से नाराजगी व्यक्त करते हुए माला पहनाई थी और हिदायत दी थी कि विभाग के काम सही तरीके से लोगों के सामने आये।

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आज प्रभारी मंत्री अचानक अशोक नगर पहुंचे, कल जिले के तमाम इलाकों में आई बाढ़ की समीक्षा के लिए प्रभारी मंत्री कुछ समय के लिए अशोकनगर आए थे। इसी दौरान रेस्ट हाउस जाने वाली रोड की दुर्दशा देख नाराज हो गए और अपने ही अंदाज में इस सड़क की देखरेख करने वाले प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना की एजीएम को माला पहनाकर सही से काम करने की हिदायत दी। उल्लेखनीय है कि यह मामला कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर खासा चर्चित हो चुका था।
ऐसे नहीं सुधरे तो सरकार के पास और भी विकल्प हैं ।

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सरकारी विभागों की अव्यवस्थाओं के सामने आने के कारण उनके अधिकारियों को माला पहनाकर व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के उनके अंदाज एवं तरीके को लेकर पत्रकारों ने सवाल किया कि, क्या इस तरह से व्यवस्थाएं सुधर सकती हैं। इस पर प्रभारी मंत्री श्री तोमर का कहना था कि उनकी सरकार एवं शिवराज सिंह चौहान चाहते हैं कि बेहतर प्रशासन चल सके ।इसलिए वह गांधीवादी तरीके से अधिकारियों को उनके कर्तव्य का बोध कराते हैं। उनसे पूछा गया कि इसके बाद भी अधिकारी नहीं सुधरते तो तब मंत्री जी का कहना था कि सरकार के पास इन्हें सुधारने के और भी विकल्प हैं।

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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