मुरैना में खूनी खेल, जमीनी विवाद में चली गोलियां, 3 महिलाओं सहित 6 की मौत, पुलिस छावनी बना गांव

Atul Saxena
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Morena News : चम्बल अंचल का मुरैना आज एक बार फिर गोलियों की आवाज से थर्रा गया, जिले के सिहोनिया थाना क्षेत्र के लेपा भिडोसा गांव में दो पक्षों के बीच जमीन को लेकर विवाद हो गया, विवाद सुबह सुबह शुरू हुआ, पहले लाठियां निकली फिर घरों से बंदूकें निकल आई, बंदूक हाथ में आते ही ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गई जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और तीन घायल हो गए।

जानकारी के मुताबिक सुबह करीब 6 बजे गांव के दो परिवार जमीन को लेकर आपस में भिड़ गये, घरों की महिलाएं बाहर निकल आई और मुंहवाद शुरू हो गया,  पुरुष हाथों में लाठियां लेकर एक दूसरे पर हमलावर हो गए, देखते ही देखते विवाद ने बड़ा रूप ले लिया

थोड़ी ही देर में मामला इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने घर से बंदूकें निकाल ली और दूसरे पक्ष पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी,  बंदूक चलते ही वहां भगदड़ मच गई , देखते ही देखते 6 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, मरने वाले एक ही परिवार के हैं जिसमें तीन महिलाएं भी शामिल हैं, गोली लगने से तीन लोग घायल भी बताये जा रहे हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

बताया जा रहा है कि गांव के इन दोनों परिवारों में लम्बे समय से जमीन को लेकर विवाद चल रहा है, जमीनी विवाद में इसी लेपा गांव में 2014 में भी मर्डर हुआ था, आज हुए विवाद और सामूहिक हत्या की सूचना पुलिस को लगते ही सिहोनिया थाने का फ़ोर्स वहां पहुंचा, पुलिस ने थोड़ी ही देर में गांव को छावनी बना दिया।

मृतकों के परिजनों के मुताबिक विवाद के बीच लगभग 8 लोग गाड़ी से उतरे और बिना कुछ देखे फायरिंग शुरू कर दी उन्होंने आरोप लगाये कि छोटू, सोनू पुत्र वीरभान, बलराम, श्यामू, भूरे पुत्र सोभराज और रामू, मोनू पुत्र धीर सिंह  ने अंधाधुंध फायरिंग करते हुए 6 लोगों को जान से मार दिया।

मरने वालों में संजू सिंह, संजू के पिता और सत्य प्रकाश के साथ इसी परिवार की 3 महिलाएं शामिल हैं, गोलीबारी में नीरज सिंह, विनोद और वीरेंद्र घायल हैं जिनका इलाज जारी है, उधर पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उनकी तलाश शुरू कर दी है, हालात से जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है।

मुरैना से नितेंद्र शर्मा की रिपोर्ट 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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