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मेटरनिटी में अवैध वसूली करने वाली नर्सों को किया जाता हैं पदस्थ,अस्पताल प्रबंधन की कार्रवाई संदेह के घेरे में

मुरैना,संजय दीक्षित। जिला अस्पताल के मेटरनिटी में अवैध वसूली को लेकर आए दिन हंगामा होता रहा है, लेकिन अस्पताल प्रबंधन विवादित स्टाफ को बदलने के लिए तैयार नहीं होते है। ऐसा माना जा रहा है कि कहीं न कहीं अस्पताल प्रबंधन की कार्रवाई संदेह के घेरे में है या किसी दबंग नेताओं के खौफ से अस्पताल प्रबंधन मेटरनिटी स्टाफ को बदलने के लिए तैयार नहीं है।

मेटरनिटी वार्ड का जो लक्ष्य का प्रोग्राम शुरू किया है वह चाहे पूरा हो या ना हो लेकिन मैटरनिटी में अवैध वसूली के मामले आये दिन हजारों रुपए की वसूली चर्चाओं में बनी रहती है। सबसे बड़े हालात ये हैं कि मेटरनिटी में पदस्थ विवादित व आरोपित नर्सों को ही क्यों पदस्थ किया जाता है। बार बार शिकायत मिलने के बाद भी अस्पताल प्रबंधन से जुड़े अफसर इन्हें बदलने को तैयार नहीं है।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।