मुरैना : अस्पताल प्रशासन के सारे वादे खोखले, प्रसूताओं को फटे गद्दे व बिना कंबल के वार्ड में भर्ती रहने को हैं मजबूर

मुरैना, संजय दीक्षित। जिला अस्पताल की प्रसूता वार्ड की हालत बद से बदतर होती जा रही हैं वार्ड में भर्ती प्रसूताओं के लिए उनके परिवार वाले सर्दी से बचाने के लिए अपने घरों से कंबल लेकर आ रहे है जिला अस्पताल के प्रसूति वार्ड में देखा गया तो प्रसूता वार्ड में फटे हुए गद्दों पर प्रसुताएँ सोने को मजबूर हैं, कम्बल तक उनको नसीब नहीं हो पा रहा है, जबकि अस्पताल प्रशासन के द्वारा बड़े-बड़े वादे किए जाते है लेकिन सारे वादे खोखले साबित होते जा रहे हैं। सर्दी में प्रसूताओं के लिए अटेंडर अपने घर से कंबल लाते हैं जब उनके ओढ़कर रात गुजारने पड़ती हैं। इस सर्दी के सीजन में दिन रात काटने को मजबूर हैं।

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Amit Sengar

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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है। वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”