MP Election : मध्यप्रदेश में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होना प्रस्तावित है। जल्द ही चुनाव को लेकर आचार संहिता लागू कर दी जाने वाली है। चुनाव से पहले भाजपा और कांग्रेस पार्टी प्रचार प्रसार करने में जुटी हुई है इसी बीच दोनों ही पार्टी एक दूसरे पर तंज कसने में पीछे नहीं हट रहे हैं। कभी पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ शिवराज सिंह और बीजेपी के उम्मीदवारों को घेरे में लेते हैं तो कभी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह कांग्रेस को। लगातार ये सिलसिला जारी है। दो दिन पूर्व ही बीजेपी ने अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की है। जिसके बाद कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीजेपी के उम्मीदवारों को लेकर शिकंजा कसते हुए कहा है कि भाजपा जितने सजावटी उम्मीदवार ला रही है, जनता का आक्रोश उतना ही ज़्यादा बढ़ रहा है ये कारण स्पष्ट है।
ये दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक संगठन के, सबसे बड़े विघटन का दौर है – कमलनाथ
भाजपा जितने सजावटी उम्मीदवार ला रही है, जनता का आक्रोश उतना ही ज़्यादा बढ़ रहा है, कारण स्पष्ट हैं:
– जनता मान रही है कि जो मंत्री चुनाव लड़ेंगे, उनका मंत्रालय जो पहले से ही सुप्त है अब और भी निष्क्रिय हो जायेगा, तो फिर जनता के रुके हुए काम कैसे होंगे। इस वजह से आक्रोश बढ़ रहा…
— Kamal Nath (@OfficeOfKNath) September 27, 2023
ये बात उन्होंने ट्विटर के माध्यम से कहीं। उन्होंने कहा है कि जनता मान रही है कि जो मंत्री चुनाव लड़ेंगे, उनका मंत्रालय जो पहले से ही सुप्त है अब और भी निष्क्रिय हो जाएगा तो फिर जनता के रुके हुए काम कैसे होंगे। सत्ताधारी सासंद चुनाव लड़ेंगे उनका संसदीय क्षेत्र उपेक्षित होगा, जिसका ख़ामियाज़ा जनता ही भुगतेगी। ये तथाकथित बड़े लोग पार्टी के दबाव में बेमन से लड़ेंगे और हारेंगे तो जनता के ख़िलाफ़ हो जाएंगे जिसकी वजह से जनता उनकी उपेक्षा और उनके उत्पीड़न का शिकार होगी।
उन्होंने आगे कहा कि यदि भाजपा के कोई एक-दो सांसद जोड़, जुगत, जुगाड़ से चुनाव जीत भी गए तो फिर बाद में विधायक के पद से इस्तीफ़ा देकर आगामी लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। जिससे उप चुनाव का खर्चा होगा, जो जनता के टैक्स की ही बर्बादी होगी। इस वजह से लगातार जनता का आक्रोश बढ़ता जाएगा। जनता के बढ़ते आक्रोश को देखकर भाजपा के अधिकांश नेता, पदाधिकारी, कार्यकर्ता, सदस्य और समर्थक भूमिगत से हो गए हैं और जन-सेवा के लिए समर्पित कुछ अच्छे नेता अन्य विकल्प तलाश रहे हैं। ये दुनिया के सबसे बड़े राजनीतिक संगठन के सबसे बड़े विघटन का दौर है।