जबलपुर। मध्य प्रदेश की निचली अदालतों के जजों और उनके परिवारों की सुरक्षा के मामले में राज्य सरकार एक ठोस नीति बनाने जा रही है। गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से पेश रिपोर्ट में बताया गया कि इसके लिए एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। सरकार ने यह भी जानकारी दी कि जजों के साथ हुई पिछली घटनाओं के आरोपियों पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई चल रही है।
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की खंडपीठ ने सरकार की रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की अगली सुनवाई के लिए 8 जनवरी की तारीख निर्धारित की है। हाईकोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया था।
सरकार ने रिपोर्ट में क्या कहा?
राज्य शासन ने अपनी रिपोर्ट में हाईकोर्ट को आश्वस्त किया है कि जजों की सुरक्षा को गंभीरता से लिया जा रहा है। एक व्यापक और ठोस नीति बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है, जिसका रोडमैप तैयार हो रहा है। इसके अलावा, जिन मामलों में जजों के साथ अप्रिय घटनाएं हुईं, उनमें एफआईआर दर्ज कर कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। पिछली सुनवाई में भी हाईकोर्ट ने पुलिस को जजों की सुरक्षा के प्रति गंभीरता बरतने के निर्देश दिए थे।
2016 की घटना से जुड़ा है मामला
यह मामला साल 2016 की एक घटना से जुड़ा है, जिसके बाद हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। 23 जुलाई, 2016 को मंदसौर में राष्ट्रीय राजमार्ग पर जिला अदालत के न्यायाधीश राजवर्धन गुप्ता के साथ एक अशोभनीय घटना हुई थी। इस घटना की जांच के बाद तत्कालीन रजिस्ट्रार जनरल ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट प्रदेशभर के जजों और उनके परिवारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुनवाई कर रहा है।
मामले में पहले भी कोर्ट कई दिशा-निर्देश जारी कर चुका है, जिनमें कोर्ट परिसरों के चारों ओर ऊंची बाउंड्री वॉल बनाना, परिसरों में पुलिस चौकियां स्थापित करना और जजों के आवासीय परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करना शामिल है।





