MP News: गोविंदराम तोदी शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज और एक सरकारी माध्यमिक स्कूल की संपत्तियों को 50 साल पुराने प्राइवेट लोन की वसूली के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया द्वारा कुर्क किया गया। दरअसल यह घटना शुक्रवार को हुई, जब डीआरटी जबलपुर की टीम और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के अधिकारियों ने प्रॉपर्टी कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू की। वहीं इस प्रक्रिया के बाद कॉलेज में हड़कंप मच गया।
कर्ज की बकाया राशि?
दरअसल 1971 में, कालूराम-गोविंदराम तोदी फर्म ने अपनी प्रॉपर्टी समेत कुल 7 संपत्तियों को बंधक रखकर 26.50 लाख रुपये का लोन लिया था। इस लोन की ब्याज समेत बकाया राशि 32 लाख 75 हजार 502 रुपये हो गई है। वहीं लोन की वसूली न होने के कारण बैंक ने संपत्तियों को कुर्क करने का यह बड़ा निर्णय लिया। लेकिन इस निर्णय ने एक बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है।
कुर्की की प्रक्रिया
वहीं डीआरटी जबलपुर के रिकवरी ऑफिसर प्रीति देसाई के निर्देश पर डीआरटी के कोर्ट कमिश्नर महेश कुमार पांडेय, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के चीफ मैनेजर ए.के. दास और लीगल मैनेजर अनिल शर्मा ने गोविंदराम तोदी शासकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज पहुंचकर कुर्की की प्रक्रिया को पूरा किया। जानकारी के अनुसार कॉलेज प्राचार्य जी.बी. बामनकर और स्टाफ की मौजूदगी में कुर्की की कार्रवाई की गई और इसका पूरा पंचनामा भी बनाया गया।
विवादित प्रॉपर्टी का इतिहास
दरअसल बैंक के अनुसार, जिस भूमि और भवन को कुर्क किया गया है, वह पहले पहाड़ी बंगला कहलाती थी और सर्वे नंबर 1626/1, 1627/1 व 1627/2 के नाम से जानी जाती थी। जानकारी के अनुसार 1998 में, लोन न चुकाने के कारण यह प्रकरण डीआरटी जबलपुर को ट्रांसफर किया गया था। वहीं कुर्क की गई सौलत मंजिल भी इसी प्रकरण का हिस्सा है, जहां वर्तमान में शासकीय माध्यमिक स्कूल संचालित हो रहा है।
प्राचार्य का पक्ष?
वहीं इस मामले में कॉलेज के प्राचार्य जी.बी. बामनकर ने बताया कि 22 नवंबर 1975 को तत्कालीन कलेक्टर वी.वी. श्रीवास्तव के आदेश पर यह भूमि पॉलिटेक्निक कॉलेज को आवंटित की गई थी। उन्होंने कहा, “हमारे पास भूमि आवंटन के तमाम दस्तावेज सुरक्षित हैं, जिन्हें डीआरटी और बैंक अधिकारियों को प्रस्तुत किया गया है।”
दरअसल प्राचार्य बामनकर ने यह भी कहा कि कुर्की पंचनामा में आपत्ति दर्ज करवाई गई है और अब डीआरटी जबलपुर में अपना पक्ष रखा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकारी संपत्ति को कुर्क नहीं किया जा सकता। इस विवाद के समाधान के लिए कानूनी प्रक्रिया को अपनाया जाएगा।