MP Tourism : ऐसे हुआ था इंदौर शहर का नामकरण, 4000 साल पुराने मंदिर से जुड़ी है मान्यता

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MP Tourism : मध्य प्रदेश के एमपी टूरिज्म के प्रमुख शहर इंदौर को मिनी मुंबई के नाम से भी जाना जाता है। यह एक व्यवसायिक शहर है। इस शहर के नामांकरण को लेकर कई कहानियां मौजूद है जो हमेशा चर्चा में रहती है। कई लोगों का कहना है कि भगवान इंद्र के नाम पर शहर का नाम रखा गया है तो कइयों का कहना है कि इंद्रेश्वर महादेव के नाम पर इंदौर का नाम रखा गया है। आखिर इसके पीछे की क्या सच्चाई है चलिए जानते हैं।

ये है भगवान इंद्र से जुड़ी कहानी

इंदौर में भगवान इंद्र का सुंदर और भव्य मंदिर हुआ करता था। मंदिर के आसपास के इलाके को इंदौर के नाम से जाना जाता था। हालांकि अभी तक इस बात को लेकर कोई ऐतिहासिक प्रमाणिकता मौजूद नहीं है लेकिन लोगों का मानना है कि इंदौर शहर दुनिया में राजा इंद्र का एकलौता नगर है।

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ऐसे हुई थी इंद्रेश्वर महादेव की स्थापना

8वीं शताब्दी में राजकोट के राजपूत राजा इंद्र तृतीय ने एक त्रिकोणीय युद्ध में जीत हासिल की थी उसके बाद ही इन्द्रेश्वर महादेव के मंदिर की स्थापना की गई थी। इस मंदिर को बनाने के साथ ही उन्होंने अपनी जीत को यादगार बनाया। मंदिर की वजह से पूरी जगह को इंद्रपुरी के नाम से जाना जाने लगा।

ऐसे में 8वीं शताब्दी में जब मराठा शासनकाल हुआ करता था तब इंद्रपुरी को मराठी अपभ्रंश इंदूर के नाम से बुलाते थे। उसके बाद धीरे धीरे इसे इंदौर के नाम से जाना जाने लगा। ऐसे में ब्रिटिश काल में इंदौर का इंग्लिश में ‘INDORE’ लिखा जाता था। ये ही इंदूर से इंदौर बनाने की सबसे खास और बड़ी वजह है।

मंदिर से जुड़ी ये है मान्यता

देवता इंद्रदेव ने कान्ह नदी से शिवलिंग को निकालकर इंद्रेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित की थी। ये मंदिर 4 हजार साल पुराना है। कहा जाता है कि जिस वक्त भगवान इंद्र सफेद दाग के रोग से पीड़ित हुए थे तब इसी मंदिर में उन्होंने तपस्या की थी।

इतना ही नहीं मंदिर को लेकर ये भी मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान शिव पर चढ़ाए गये पानी को जिस भूमि पर डाला जाता है, वहां खुदाई करने से निश्चित रूप से पानी निकलता है। वहीं बारिश की कमी को पूरा करने के लिए भी लोग इन मंदिर में पूजा करने जाते थे।

 


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Ayushi Jain

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