MP Tourism : मांडू के इस मंदिर में विदेशी भी झुकाते हैं अपना सिर, ये हैं मान्यता

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MP Tourism : मध्यप्रदेश का मांडू प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहां दूर-दूर से सैलानी घूमने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं यहां सबसे ज्यादा विदेशी लोग घूमने के लिए आते हैं। मांडू में कई ऐतिहासिक धरोहर हैं जिसकी मान्यता भी काफी ज्यादा है। लोगों को इन धरोहर और मंदिरों के इतिहास के बारे में जानना काफी अच्छा लगता हैं।

आज हम आपको मध्यप्रदेश के मांडू में स्थित एक नीलकंठ महादेव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। ये मंदिर बेहद प्रसिद्ध है। यहां दूर दूर से लोग माथा टेकने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं विदेशी लोग भी यहां अपना सिर झुकाते हैं। आपको बता दे, भारत मंदिरों का देश है। यहां ऐसे कई सारे मंदिर हैं जहां की मान्यता और इतिहास काफी अलग है। ऐसा ही एक मंदिर है नीलकंठ महादेव का। चलिए जानते हैं इस मंदिर की खासियत और इतिहास –

नीलकंठ महादेव मंदिर –

मांडू का नीलकंठ महादेव मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इस मंदिर को मुगल सम्राट अकबर ने बनाया था। इस मंदिर की काफी ज्यादा मान्यता है। लोग दूर दूर से यहां महादेव के दर्शन करने के लिए आते हैं। ये जिले के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। सुंदर वादियों के बसा महादेव का ये मंदिर खुद में बेहद खास है। यहां महादेव का 24 घंटे जलाभिषेक होता है। खास बात ये है कि ये जलाभिषेक कोई पुजारी या भक्त नहीं बल्कि प्रकृति करती है। बरसों से ये परंपरा चली आ रही है। दरअसल, महादेव मंदिर में एक झरना है जो हमेशा महादेव का जलाभिषेक करता हैं।

आपको बता दे, नीलकंठ महादेव का मंदिर महल के अंदर बना हुआ है। इस मंदिर के दर्शन करने के लिए सैलानियों को 60 सीढ़ियां नीचे उतर कर जाना पड़ता हैं। यहां से जाते वक्त एक कुंड भी आपको देखने के लिए मिलता हैं। जिसका पानी बेहद पवित्र माना गया है। यहां आपको एक गणेश जी का मंदिर भी देखने के लिए मिलता हैं। जहां विदेशी लोग भी माथा टेकते हैं। यहां का प्राकृतिक दृश्य और सौन्दर्यता लोगों का मन मोह लेती हैं। क्योंकि चरों ओर आपको हरियाली ही हरियाली देखने को मिलेगी। जो आपको सुकून देगी। यहां लोग अक्सर पिकनिक करने के लिए आते हैं।

नीलकंठ मंदिर का इतिहास –

मुगल सम्राट अकबर ने इस नीलकंठ मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की वास्तुकला लोगों को आकर्षित करती हैं। ये वास्तुकला मुगलों से मिलती है। इस मंदिर में लाल पत्थरों को बारिकी से तराश कर कला प्रदर्शनी की गई है। ये मंदिर 16वीं शताब्दी में बनाया गया था जो आज तक प्रचलित है। प्रमोद स्थल के रूप में इस मंदिर का निर्माण किया गया था। यहां आपको शिलालेख भी देखने को मिलेंगे जो अकबर के समय की है।

अकबर ने ये मंदिर अपनी बेगम जोधाबाई को भेंट किया था। इतना ही नहीं एक यात्रा के दौरान एक मांडू की यात्रा के दौरान सम्राट अकबर ने इसी मंदिर में शरण ली थी। इसका जिक्र मंदिर की शिलालेख में किया गया है। लेकिन कहा जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब ने अपने शासनकाल में मंदिर जाने वाले रास्ते को बंद करवा दिया था। बाद में इसे फिर से खुलवा दिया गया। अब यहां दूर दूर से लोग घूमने के लिए आते हैं। आप भी मध्यप्रदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं तो एक बार मांडू जरूर जाए और यहां के नीलकंठ महादेव के दर्शन जरूर करें।

 


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Ayushi Jain

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