Bhim Kund Of MP: भारत एक ऐसा देश है जहां पर कई सारे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल मौजूद है। इसके अलावा यहां पर कई सारी चमत्कारी और रहस्यमई जगह भी मौजूद है जिन से जुड़ा राज लोगों को अपनी और आकर्षित करता है।
मध्य प्रदेश को हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है और यहां घूमने फिरने के लिए एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है। आपने अब तक कई सारे ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों के बारे में सुना होगा जो मध्यप्रदेश में मौजूद है। रहस्यमई किलो के बारे में भी आपको जानकारी होगी लेकिन आज हम आपको एक ऐसे कुंड के बारे में जानकारी देने वाले हैं जिससे जुड़े राज का पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है।
इस कुंड में पानी कहां से आता है और इसकी गहराई कितनी है यह जानने के लिए अथक प्रयास किए गए हैं लेकिन इन सब का नतीजा कुछ भी निकल कर सामने नहीं आया क्योंकि इतनी गहराई तक जाने में अब तक कोई भी समर्थ नहीं हो सका है। हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में मौजूद भीमकुंड की जिससे कई सारी कथाएं भी जुड़ी हुई है।
मध्य प्रदेश में है Bhim Kund
छतरपुर में मौजूद इस भीमकुंड से जो कथा जुड़ी हुई है वह महाभारत काल की है। बताया जाता है कि जब पांडव अपना अज्ञातवास गुजार रहे थे, तब उनका एक वन से गुजरना हुआ और उसी समय द्रौपदी को प्यास लगी। पांचों भाइयों ने आसपास पानी की तलाश की लेकिन कहीं भी उन्हें जल स्त्रोत नहीं मिला।
इसके बाद धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाई नकुल को यह याद दिलाया कि उनके पास यह क्षमता मौजूद है कि वह पाताल की गहराई में मौजूद पानी का पता लगा सकते हैं। अपने भाई की आज्ञा पर नकुल ने भूमि को स्पर्श करते हुए पानी के स्त्रोत का पता लगाया लेकिन फिर भी समस्या जस की तस थी कि आखिरकार पानी को बाहर कैसे लाया जाएगा।
भीम के गदा से बना कुंड
कथा के मुताबिक जब द्रौपदी प्यास से व्याकुल हो उठी तो भीम ने अपनी गदा उठाई और नकुल के बताए गए स्थान पर जोरदार प्रहार किया। उनकी गदा के प्रहार से भूमि में बहुत गहरा छेद हो गया और जल दिखाई देने लगा।
इस जल की दूरी अभी भी भूमि की सतह से 30 फीट नीचे थी ऐसे में युधिष्ठिर ने अर्जुन से अपनी धनुर्विद्या के जरिए सीढ़ियां बनाने को कहा। अर्जुन ने अपने धनुष से बाण छोड़े और जल स्त्रोत तक सीढ़ियां बना दी। इसके बाद द्रौपदी की प्यास बुझाई जा सकी और भीम के गदा से निर्मित होने के कारण इसका नाम भीमकुंड पड़ा।
शांत ज्वालामुखी है भीमकुंड
भीमकुंड से कई सारी मान्यताएं जुड़ी हुई है जिनमें से एक यह भी है कि यह एक शांत ज्वालामुखी है। इसकी गहराई कितनी है इस बारे में जानने के लिए अब तक भू वैज्ञानिकों और गोताखोरों द्वारा कई बार प्रयास किया गया, लेकिन असफलता ही हाथ लगी।
इस कुंड का पानी बिल्कुल नीला और स्वच्छ है और यह किस वजह से इतना साफ है इस बारे में भी जानकारी अब तक नहीं लगाई जा सकी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोताखोर अब तक सिर्फ इसके 370 मीटर अंदर ही जा पाए हैं।
जानकारी के मुताबिक इस कुंड की गहराई में कुएं जैसे दो बड़े छिद्र हैं, एक में बहुत तेजी से पानी आता है और दूसरे से वापस चला जाता है। ये दावा भी किया जाता है कि इसका संबंध सीधा समुद्र से है और जब भी सुनामी आती है यहां की लहरों में उफान देखा जाता है।
एक जर्मन गोताखोर ने इस कुंड को लेकर यह दावा किया था कि ढाई सौ फुट की गहराई में उसे कुछ अनोखे जीव और रास्ते दिखाई दिए थे। हालांकि, इसका कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला था।
भीमकुंड एक गुफा में मौजूद है जिसके ठीक ऊपर बड़ा सा कटाव है। जहां से सूर्य की किरण अंदर प्रवेश करती है और कुंड के पानी पर इंद्रधनुष का रंग दिखाई पड़ता है। कुंड अपने अंदर कौन से राज समेटे हुए हैं यह आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
कुंड से जुड़े अनोखे तथ्य
कुंड को लेकर यह मान्यता है कि यहां स्नान करने वाले व्यक्ति की त्वचा संबंधी गंभीर से गंभीर बीमारी ठीक हो जाती है। इसके अलावा किसी को कितनी भी प्यास क्यों ना लगी हो अगर वो इसकी तीन बूंद भी पी ले तो उसकी प्यास बुझ जाती है। यह भी कहा जाता है कि देश में अगर कोई बड़ा संकट आने वाला होता है तो इसमें जलस्तर बढ़ने लगता है यानी आपदा आने के पहले ही कुंड इस बात का संकेत दे देता है।
मध्यप्रदेश में एक से बढ़कर एक जगह मौजूद है और इन छुट्टियों में अगर आप एमपी टूरिज्म का प्लान बना रहे हैं तो छतरपुर में मौजूद इस रहस्यमय भीमकुंड का दीदार करना बिल्कुल भी ना भूलें।