हम दीवानों की क्या हस्ती, है आज यहां कल वहां चले।” तबादले के बाद कलेक्टर का संदेश 

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के 2012 कैडर के आईएएस अधिकारी रोहित सिंह ने तबादले के बाद नरसिंहपुर जिले की जनता को भावुक संदेश दिया है। एक शेर के माध्यम से उन्होंने अपने कार्यकाल को याद करते हुए नरसिंहपुर के उज्जवल भविष्य की कामना की है। सोमवार को जारी आईएएस की तबादला सूची में रोहित सिंह को नरसिंहपुर के कलेक्टर पद से हटाकर भोपाल पदस्थ किया गया है।

“हम दीवानों की क्या हस्ती,है आज यहां कल वहां चले। मस्ती का आलम जहां मिला, हम धूम मचाते वहां चले।” नरसिंहपुर के कलेक्टर रोहित सिंह का तबादले के बाद दिया गया वीडियो संदेश उनके दर्द को बयां करता नजर आता है। 2012 बैच के आईएएस अधिकारी रोहित सिंह को सितंबर 2021 में नरसिंहपुर जिले में पदस्थ किया गया था और उन्हें नरसिंह महोत्सव की शुरुआत और मां नर्मदा की भव्य आरती जैसे कार्यक्रम करने का श्रेय जाता है। लोगों के साथ मिलकर उन्होंने करेली के श्री राम मंदिर के कायाकल्प के सपने को भी संयोया था।उन्होंने अपने वीडियो संदेश में यह भी कहा है कि नरसिंहपुर जिले को लेकर जनता के साथ उन्होंने जो सपने बुने थे, उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले अधिकारियों ने पूरा करेंगे।उनके वीडियो संदेश पर लोगों ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और लिखा है कि “तबादले इलाके बदलते हैं, इरादे नहीं।” एक कमेंट में एक व्यक्ति ने इस जिले की तुलना बिहार से की है और लिखा है कि नेता अच्छे अधिकारी को टिकने नही देते।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।