ग्वालियर, अतुल सक्सेना। पानी की विरासत बचाने पर केन्द्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल सम्मेलन (National Water Conference) का आयोजन भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान ग्वालियर(IITTM Gwalior) में किया जा रहा है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने दीप प्रज्ज्वलित कर इस सम्मेलन का उदघाटन किया। उन्होंने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि जल का संरक्षण केवल जल का ही नहीं, जीवन का भी संरक्षण है। पानी की कमी चिंताजनक स्थिति में है। इसलिए सभी लोग जल संरक्षण का संकल्प लें। पानी बचाना केवल सरकार और किसी एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं, यह सभी की सामूहिक जवाबदेही है। सिंधिया ने आह्वान किया कि जिस प्रकार हम सभी बचत कर बैंक का ऋण चुकाते हैं उसी तरह आने वाली पीढ़ी के लिये पानी सहेजने का काम करें।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उदघाटन सत्र में ऋग्वेद की एक ऋचा का उदाहरण देते हुए कहा कि जल ही जीवनदायी शक्ति है व ऊर्जा का स्त्रोत है। इसलिये जल का संरक्षण नहीं तो जीवन का भी संरक्षण नहीं हो सकता। उन्होंने कहा खुशी की बात है अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार दिवस के अवसर पर इस सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इसलिये हमें समझना चाहिए, यदि जल ही नहीं रहेगा तो हम अधिकार से भी वंचित रहेंगे। सिंधिया ने ग्वालियर रियासतकाल में जल संरक्षण व संवर्धन के लिये किए गए कामों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ग्वालियर जिले में स्थित हरसी बांध आज भी एशिया का मिट्टी का सबसे बड़ा बांध है।
सिंधिया ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जल के संरक्षण व संवर्धन को लेकर विशेष चिंतित रहते हैं। इसीलिए उन्होंने जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया है। जिसके तहत हर घर में नल से पानी उपलब्ध कराने के साथ-साथ पानी को सहेजने के उपाय भी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में केन-बेतवा लिंक प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई है। लगभग 45 हजार करोड़ रूपए के प्रोजेक्ट से खासकर बुन्देलखंड और उसके समीपवर्ती क्षेत्र में सिंचाई व पेयजल की समस्या के स्थायी निदान के साथ-साथ विकास के नए आयाम स्थापित होंगे।
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि वर्तमान में हम मात्र 8 प्रतिशत वर्षा जल का संग्रहण कर पाते हैं। हर साल प्रकृति एक हजार वर्ग फुट क्षेत्र में औसतन 75 हजार लीटर जल देती है, जो संरक्षण के अभाव में बह जाता है। हमें इस पानी को बचाने के लिये गंभीरता से प्रयास करने होंगे अन्यथा आने वाले दिन अत्यंत कठिन होंगे।
कार्यक्रम में मौजूद जिले के प्रभारी एवं प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि पानी मानव जीवन के विकास की बुनियाद है। इसीलिए हर गाँव में तालाब हमारी संस्कृति का हिस्सा रहे हैं। उन्होंने कहा मध्यप्रदेश सरकार जल के संरक्षण व संवर्धन के लिये कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा जल योद्धाओं और सम्पूर्ण समाज की भागीदारी से हम पानी को सहेजेंगे। सिलावट ने कहा कि इस पुनीत कार्य में जुटे लोगों को प्रदेश सरकार से हर संभव सहायता मिलेगी। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि पानी सहेजने के पुनीत उद्देश्य से राष्ट्रीय जल सम्मेलन में भाग लेने आए सभी जल योद्धाओं का मध्यप्रदेश शासन की ओर से सम्मान किया जाएगा।
जल पुरूष के नाम से विख्यात राजेन्द्र सिंह ने इस अवसर पर कहा कि भारत एक पानीदार देश है। अगर हम बेहतर ढंग से पानी का प्रबंधन कर लें तो भारत में कभी पानी का संकट नहीं आएगा। इसके लिये सभी को जागरूक होने की जरूरत है। श्री सिंह ने “वाटर लिटरेसी मूवमेंट” चलाने की जरूरत पर विशेष बल दिया। उन्होंने कहा यदि हम अभी से सचेत होकर पानी बचाने के लिये आगे नहीं आए तो अफ्रीकन देशों की तरह भारत को भी भीषण जल संकट का सामना करना पड़ेगा। राजेन्द्र सिंह ने कहा कि हमें नदियों को नाला बनने से रोकना होगा। अर्थात नदियों को प्रदूषण से बचाना होगा। उन्होंने ग्वालियर क्षेत्र में जल संरक्षण की समृद्ध विरासत की सराहना की। साथ ही कहा खुशी की बात है कि यहां पर आज भी यह विरासत जीवंत है। इसके लिये उन्होंने गोपाचल पर्वत के समीप स्थित जल संरक्षण संरचना का उदाहरण दिया।
कार्यक्रम में तमिलनाडु से जल यात्रा लेकर आए गुरूस्वामी जी, आंधप्रदेश से पधारे जल योद्धा सत्यनारायण पुलसेठी तथा मानपुर झांसी से आईं जल सहेली गीता बहन ने भी पानी बचाने से संबंधित अपने-अपने अनुभव सुनाए। कार्यक्रम में भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान के निदेशक आलोक शर्मा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर डॉ. संजय सिंह व श्री मनीष राजपूत सहित राष्ट्रीय जल सम्मेलन में भाग लेने आए अन्य जल योद्धा मौजूद थे। इस अवसर पर सिंधिया एवं अन्य अतिथियों ने “भारत की जल विरासतें” पुस्तक का विमोचन किया। साथ ही सर्वोदय जनकल्याण संस्था द्वारा तैयार वेबसाइट का शुभारंभ किया गया।
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Atul Saxena
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पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....