कोरोना से जीती जंग, इस जिले में स्वस्थ्य हुए 1096 कोविड के मरीज

नीमच, श्याम जाटव। जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं और मरीजों की उचित देखभाल के परिणाम स्वरुप कोरोना संक्रमण से स्वस्थ्य होने वालो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है| मंगलवार को जिले के कोविड केयर सेंटर और डीसीएचसी से 5 लोगों के स्वस्थ्य होने पर उन्हें अपने घर रवाना किया गया। स्वस्थ्य होने वालो मरीज नीमच शहरी क्षेत्र,ग्राम रेतपुराऔर मनासा के है| अब तक जिले में कुल 1 हजार 096 लोग कोरोना संक्रमण से मुक्त होकर अपने घर जा चुके हैं। जिले में एक्टिव केस 258 शेष हैं| कोविड केयर सेंटर से स्वस्थ होकर 10 दिन में जाने वालों को 7 दिन और आइसोलेशन में रहने की समझाइश दी जा रही हैं।

नीमच जिले के 26 हजार 600 से अधिक लोगों की कोरोना जांच की सेम्पलिंग की जा चुकी है| जिले के आठ फीवर क्लिनिक और मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से चिकित्सीय परामर्श पर संदिग्ध लगने वालों की कोरोना संक्रमण की जांच की जा रही हैं| कलेक्टर जितेन्द्र सिंह राजे के निर्देशानुसार 24 घंटे मरीजों की स्क्रीनिग,जांच और उपचार किया जा रहा है जहां| जिले में एक्टिव कन्टेनमेंट एरिया 199 हैं। कन्टेनमेंट से 339 एरिया को मुक्त किया गया है| सीएमएचओ डॉ महेश मालवीय ने सभी नागरिको से अपील की है कि वो सोशल डिस्टेंस,मास्क या फेस कवर का उपयोग, हाथों को बार-बार धोंए| यदि किसी को सर्दी खांसी, बुखार जेसे लक्षण हो तो वे तुरन्‍त जिला चिकित्सालय के फीवर क्लिनिक और नजदीकी स्वास्थ्य संस्था पर चिकित्सकों को दिखाए ।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।