संसदीय क्षेत्र में मालवा के गांधी के नाम से प्रसिद्व रहे पूर्व सांसद स्वर्गीय डॉक्टर लक्ष्मीनारायण के पुत्र ने जिले में भाजपा प्रत्याशियों के समर्थन में मोर्चा संभाल लिया है। खास बात यह है कि इनके बड़े भाई जावरा से चुनाव मैदान में है। इसके बावजूद पार्टी को मजबूत करने के लिए मैदान में जुटे हैं।
नीमच। श्याम जाटव।
विधानसभा चुनाव में केवल दो दिन बाकी रहे हैं। कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशियों ने आखरी समय तक चुनाव जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी। ऐसे में दोनों दल में कांटे का मुकाबला माना जा रहा हैं। वहीं भाजपा का एक युवा पार्टी के पक्ष में अपने सगे भाई का चुनाव प्रचार छोड़कर संगठन हितमें जिले के प्रत्याशियों के समर्थन में प्रचार में कूद पड़े।
-प्रचार में जुटे पांडे
जानकारी के अनुसार पूर्व सांसद डॉ. लक्षमीनारायण के पुत्र व भाजपा नेता सुरेंद्र पांडे 25 नवंबर से नीमच, जावद व मनासा में पार्टी प्रत्याशी दिलीपसिंह परिहार, माधव मारू, ओमप्रकाश सखलेचा के समर्थन में चुनाव प्रचार में जुट गए। दिलचस्प बात यह है कि सुरेंद्र के अचानक मोर्चा संभालने से सांसद सुधीर गुप्ता खेमे में खलबली मच गई। दूसरी तरफ इनके भाई विधायक डॉ. राजेंद्र पांडे जावरा से भाजपा प्रत्याशी है और उनके सामने कई चुनौतियां हैं इसके बावजूद सुरेंद्र ने नीमच जिले का रूख किया।
जिले में भाजपा की जीत पक्की
सुरेंद्र पांडे ने एमपी ब्रेकिंग न्यूज को बताया कि नीमच से विधायक दिलीपसिंह परिहार, मनासा से माधव मारू व जावद से विधायक ओमप्रकाश सखलेचा करीब-करीब 25 हजार वोट से जीतेंगे और प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनेगी। उन्होंने कहां कि मेरे पिता ने 11 लोकसभा चुनाव लड़े और 9 बार जीते हैं और उनके अनुयायी समर्पित कार्यकर्ताओं की लंबी फौज आज भी सक्रिय है। उन्हीं की विरासत को बरकरार रखने के लिए संगठन हित में क्षेत्र के लोगों को पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में वोट देने के लिए निरंतर आ रहा हूँ। जीरन, कुकड़ेश्वर, नीमच व मनासा में जनसंपर्क कर चुके है और कार्यकर्ताओं की बैठक भी ली।
भाई का प्रचार छोड़कर आया हू
पांडे ने आगे कहां कि मेरे बड़े भाई विधायक डॉ. राजेंद्र पांडे चुनाव लड़ रहे है और उन्हें प्रचार में मेरी जरूरत होने के बावजूद पार्टी के लिए संसदीय क्षेत्र के नीमच जिले में प्रचार करने आया हूँ। भाई राजेंद्र भी भारी मतों से विजयी होंगे। निर्दलीय से किसी प्रकार की चुनौती नहीं है।