MP Liquor Scam : सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इंदौर, भोपाल, जबलपुर और मंदसौर समेत 23 ठिकानों पर एक साथ छापामार कार्रवाई की। यह छापेमारी उस 42 करोड़ के महाघोटाले की पड़ताल है, जहाँ सत्ता शराब माफियाओं ने फर्जी बैंक गारंटियों का सहारा लेकर सरकारी खजाने को चूना लगाया था।
ED की टीम ने सुबह की पहली किरण के साथ ही तत्कालीन भ्रष्ट अधिकारियों, शराब के सौदागरों और धोखेबाज बैंक कर्मचारियों के 23 ठिकानों पर धावा बोला। पहले सिर्फ 17 ठिकाने चिह्नित थे, लेकिन जैसे-जैसे घोटाले की परतें खुलने लगीं कार्रवाई का दायरा भी बढ़ता गया। इस ऑपरेशन का नेतृत्व रायपुर की टीम के तेजतर्रार असिस्टेंट डायरेक्टर ने किया, जिनके साथ दिल्ली के तेज-तर्रार अधिकारी भी कंधे से कंधा मिलाकर शामिल हुए।

मंदसौर सहित प्रदेश के कई स्थानों पर ईडी के छापे
इसी क्रम में मंदसौर में शराब व्यवसायी अंश त्रिवेदी के आलीशान बंगले पर ED की घेराबंदी सुबह से लेकर रात तक जारी रही। अंश के पिता अनिल त्रिवेदी भी शराब और डोडा चूरा के काले कारोबार का हिस्सा रहे थे। करीब 15 साल पहले प्रतापगढ़ के गैंगवार में उनकी जान चली गई। ये वही अनिल त्रिवेदी है जो कभी आबकारी विभाग में मामूली कर्मचारी था और बाद में अपराध की दुनिया का सरगना बन बैठा। इंदौर के तुलसी नगर के एक मकान पर भी ईडी ने छापा मारा।
22 करोड़ की रिकवरी भी सवालों के घेरे में
यह शर्मनाक गाथा 2017 में तब सामने आई, जब रावजी बाजार थाने में एक आबकारी अधिकारी ने शराब ठेकेदारों समेत 14 अपराधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। इस मामले में तत्कालीन आबकारी आयुक्त संजीव दुबे समेत आबकारी विभाग के छह भ्रष्ट अधिकारी ईडी के रडार पर हैं। रावजी बाजार में दर्ज एफआईआर में 12 ठेकेदार और 2 अन्य संदिग्धों के नाम शामिल हैं। विभागीय लीपापोती में 42 करोड़ के घोटाले का खुलासा तो हुआ लेकिन सिर्फ 22 करोड़ की मामूली वसूली दिखा दी गई। अब ईडी इस संदिग्ध वसूली की भी गहराई से जाँच कर रही है। सूत्रों की मानें तो ईडी की टीम पिछले 6-8 महीनों से इस पूरे काले चिट्ठे को खंगालने में जुटी थी और अब जाकर इन भ्रष्ट चेहरों पर शिकंजा कसा जा रहा है।
नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट