केंद्र सरकार ने जारी की वर्ष 2024-25 की अफीम नीति, कई पट्टे हुए बहाल

आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2024-25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे। वही मौजूदा लाइसेंस धारियों को ऐसे कागज जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसकी जानकारी पहले से ही नारकोटिक्स विभाग के पास है। पिछले वर्ष के किसी भी बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।

Amit Sengar
Published on -
opium

Neemuch News : केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने इस वर्ष के लिए नई अफीम नीति जारी कर दी है। नई अफीम नीति के अनुसार नई अफीम पॉलिसी में गत वर्ष 2023-24 में जिन अफीम लाइसेंस धारी किसानों की फसल में मार्फिन की औसत मात्रा 4.2 प्रति किलोग्राम या उससे अधिक है, उन सभी किसानों को लेसिंग पद्धति के माध्यम से अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिरई) वाला लाइसेंस मिलेगा। ऐसे काश्तकार उन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान पोस्त भूसा उत्पादन के लिए अफीम खेती की, जिन्होंने तोल केन्द्र पर पोस्त भूसा प्रस्तुत किया तथा जिनकी औसत उपज 900 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर या उससे अधिक थी, उनको भी अफीम गोंद प्राप्त करना (लुगाई चिरई) वाला लाइसेंस मिलेगा।

ऐसे किसान जिनके लाइसेंस अपील के निपटान हो गया है वो भी किसान को फसल वर्ष 2023-24 के लिए लाइसेंस के पात्र थे, लेकिन किसी करणवश उन्होंने लाइसेंस प्राप्त नहीं किया है या उन्होंने लाइसेंस प्राप्त करने के बाद किसी कारणवश अफीम की खेती नहीं की। वे किसान भी पात्र होंगे। उन्होने बताया कि अफीम गोंद प्राप्त करना (लुवाई चिराई) वाला लाइसेंस के तहत पात्र सभी काश्तकारों को केवल एक भूखण्ड में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा। यदि किसान चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की जमीन को पट्टे पर ले सकते हैं। किसान जिनको फसल वर्ष 1995-96 के बाद से कभी भी लाइसेंस दिया गया था, लेकिन किसी कारण से उन्हें लाइसेंस जारी नहीं किया गया। उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। वे किसान जिनका फसल वर्ष 1995-96 से 1997-98 तक की अवधि में लाइसेंस निरस्त कर दिया गया था, लेकिन जिन्होंने 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर से अधिक न्यूनतम औसत उपज प्रदान की हो, उन्हें इस वर्ष सीपीएस पद्धति से लाइसेंस दिया जाएगा। वर्ष 1995-96 मृतक होने की स्थिति में उनके वैध उत्तराधिकारी भी लायसेंस प्राप्त कर सकेंगे।

नई अफीम (opium) नीति के तहत यह किसान (Farmer) होंगे पात्र

इसके साथ ही सीपीएस पद्धति के लिए भी नोटीफिकेशन जारी हुआ है। सीपीएस पद्धति जिसमें लेंसिंग के माध्यम से रस नहीं निकाला जाता, वे किसान पात्र होंगे। जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 के दौरान सीपीएस पद्धति से खेती की और तौल केन्द्र पर प्रति हैक्टेयर 675 किलोग्राम या उससे अधिक पोस्तभूसे की उपज पेश की हो वे किसान भी पात्र होंगे। इसी के साथ ही सीपीएस पद्धति के अंतर्गत जिन किसानों ने 675 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से कम दी उनके लायसेंस भी केवल 1 वर्ष के लिए ही रोके गए है उन्हें पुनः सीपीएस पद्धति से खेती करने का मौका मिलेगा। ऐसे काश्तकार जिन्होंने फसल वर्ष 2023-24 में चीरा पद्धति द्वारा खेती की तथा अफीम फसल की औसत 3 किलोग्राम से अधिक और 4.2 किलोग्राम प्रति हैक्टैयर से कम प्रदान की है, वे इस वर्ष सीपीएस पद्धति में पात्र होंगे।

5 वर्षों के लिए लाइसेंस किए जारी

सीपीएस पद्धति में भी सभी पात्र किसानों को केवल एक प्लॉट में 0.10 हैक्टेयर का लाइसेंस जारी किया जाएगा। यदि काश्तकार चाहे तो लाइसेंस प्राप्त क्षेत्र को पूरा करने के लिए दूसरों की भूमि को पट्टे पर ले सकता है। जो काश्तकार इस नीति में पहली बार सीपीएस पद्धति के लिए खेती के पात्र हो गए हैं, उन्हें आगामी 5 वर्षों के लिए लाइसेंस जारी किए जाएंगे, जो कि फसल वर्ष 2024-25 से जारी होकर फसल वर्ष 2028-29 तक प्रभावी रहेंगे। वही मौजूदा लाइसेंस धारियों को ऐसे कागज जमा करवाने की आवश्यकता नहीं होगी, जिसकी जानकारी पहले से ही नारकोटिक्स विभाग के पास है। पिछले वर्ष के किसी भी बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान की जाएगी।

नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट


About Author
Amit Sengar

Amit Sengar

मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

Other Latest News