न्यायाधीश को ब्लैकमेल करने वाले दो आरोपियों को कोर्ट ने को सुनाई सजा, 7-7 वर्ष का सश्रम कारावास

नीमच कोर्ट में करीब चार वर्ष तक केस चला और जज ने आरोपी महिला और उसके एक साथी को 7-7 साल का कारावास और 8 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

Amit Sengar
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Neemuch News : मध्य प्रदेश की नीमच जिला कोर्ट ने राजस्थान के न्यायाधीश को ब्लैकमेल कर उनसे एक करोड़ नगद व एक मकान की मांग करने वाली महिला सहित दो आरोपियों को सजा सुनाई है। साथ ही 8 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित भी किया है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश राकेश कुमार शर्मा ने सुनाया है।

विशेष लोक अभियोजक राजेन्द्र पोरवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि यह वारदात राजस्थान में पदस्थ एक जज के साथ 2020 में घटी है। मध्य प्रदेश के नीमच जिले की डीकेन कस्बे की युवती ने पहले न्यायाधीश से फेसबुक पर फर्जी नाम आईडी के जरिये दोस्ती की। जिसके पश्चात् जब वह सितम्बर 2019 में सवाई माधोपुर में पदस्थ थे उस समय अवनी वैष्णव आई और स्वयं को नीमच का प्रतिष्ठित एडवोकेट बताते हुए। सवाई माधोपुर में गणेश मंदिर के दर्शन कराने के लिये निवेदन किया तो उसने अपने स्टॉफ को दर्शन कराने हेतु निर्देश दे दिये थे। अवनी वैष्णव ने स्टॉफ से उनके मोबाईल नंबर लेकर चेटिंग का सिलसिला शुरू कर दिया।

न्यायाधीश ने सबूतों के साथ दर्ज कराई FIR

बताया जा रहा हैं कि जज ने जब बातचीत करने से मन किया तो महिला ने पहले धमकियां देना शुरू की और बाद में ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया। आरोपी की हिम्मत तो देखिए कि पैसे ऐंठने के लिए वह जयपुर तक पहुंच गई, बात नहीं बनी तो बाद में जज को नीमच ही बुलवाया। ब्लैकमेलिंग के इस गोरखधंधे में युवती ने दो और लोगों को अपने साथ शामिल कर लिया। लेकिन नीमच में न्यायाधीश ने सीधे पुलिस थाने का रुख किया और सबूतों के साथ महिला और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया।

एक आरोपी फरार

चालान पेश होने के बाद नीमच कोर्ट में करीब चार वर्ष तक केस चला और जज ने आरोपी महिला और उसके एक साथी को 7-7 साल का कारावास और 8 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। महिला और उसके साथी को जेल भेज दिया गया जबकि एक आरोपी फरार है।

नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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