नीमच/श्याम जाटव
मध्यप्रदेश में ब्यूरोक्रेसी जो कर जाए वह कम है। 27 मई को कोरोना की समीक्षा बैठक के दौरान वीसी मे नीमच जिले के जावद में कोरोना के व्यापक प्रभाव को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (cm shivraj singh chauhan) ने तत्कालीन एसडीएम दीपक चौहान (sdm deepak chauhan) को निलंबित (suspend) करने के आदेश दिए थे। इसके बाद संभागायुक्त उज्जैन आनंद शर्मा ने चौहान को निलंबित भी कर दिया। मुख्यमंत्री के द्वारा निलंबन के आदेश की वजह बताई जा रही थी कि जावद में कोरोना संक्रमितों की संख्या ज्यादा हो गई है और प्रशासन रोकथाम के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं कर पाया है जिसकी वजह से चौहान को निलंबित किया जा रहा है।
हालांकि चौहान के निलंबित होने के साथ ही राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था और साफ तौर पर कह दिया था कि एसडीएम का निलंबन बिल्कुल अनुचित है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। इसका असर भी दिखा। मंगलवार शाम होते-होते संभागायुक्त आनंद शर्मा ने एक आदेश फिर निकाल दिया और इसमें कहा गया कि कोरोना के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए आवश्यक गतिविधियों के संचालन हेतु नीमच जिले में राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की कमी है इसलिए चौहान को निलंबन से बहाल किए जाने हेतु कलेक्टर (collector) नीमच द्वारा अनुरोध किए जाने से दीपक चौहान को निलंबन से बहाल किया जाता है और उन्हें डिप्टी कलेक्टर (deputy collector) नीमच के पद पर पदस्थ किया जाता है। हालांकि दीपक चौहान द्वारा अभी तक उन्हें दिए गए कारण बताओ सूचना पत्र का जवाब भी नहीं दिया गया लेकिन कलेक्टर ने कहा कि वे जल्द ही अपना कारण बताओ सूचना का जवाब दे देंगे लेकिन फिलहाल उन्हें इसलिए बहाल किया जाए क्योंकि कोरोना (corona) का संक्रमण चल रहा है और अधिकारियों की कमी है।लेकिन अब साहब अगर ऐसा करना था तो फिर निलंबित ही क्यों किया और फिर मुख्यमंत्री के आदेश के क्या मायने।