Neemuch News : मध्यप्रदेश के नीमच तहसील मुख्यालय से 5 किलोमीटर दूर सुवाखेड़ा व खेड़ा राठौड़ में प्रशासन द्वारा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जनसुनवाई की गई। नियमानुसार यह जनसुनवाई उस गांव के बीच में होना थी लेकिन प्रशासन की मिलीभगत से जंगल में जनसुनवाई कर दी। जावद विधानसभा क्षेत्र में पत्थर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। जिससे सीमेंट बनाने के काम आता है लेकिन इसका एक बड़ा सिंडीकेट जमीनों के लेकर क्षेत्र में काम कर रहा है जोकि भोले- भाले किसानों से जमीनें खरीदता है और बड़ी कंपनियों को मोटा मुनाफा वसूली करके बेच देता है।
कंपनियों को लेनी होगी जिम्मेदारी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से आयोजित जन सुनवाई में स्थानीय लोगों ने कहा कि माइंस लगाने के दौरान कंपनियां पर्यावरण को बचाने के लिए पौधरोपण करती है लेकिन ये पौधे बचते नहीं हैं क्योंकि कंपनी की ओर से पौधों को लगाकर वैसे ही छोड़ दिया जाता है। इसकी देखरेख सही तरीके से नहीं की जाती है। आगे स्थानीय लोगों ने बताया कि कंपनियों के अधिकारी सिर्फ और सिर्फ फोटो खिंचवाने के लिए पौधरोपण करते हैं। इसके बाद वे इसे भूल जाते हैं। उन्होंने कहा कि माइनिंग के लिए अंधाधुंध तरीके से पेड़- पौधों को काटा जा रहा है। जिस कारण क्षेत्र में प्रदूषण चरम पर है
खुली खदानों के कारण चरम पर पहुंचा प्रदूषण स्थानीय लोगों ने कहा कि पर्यावरण को बचाने के लिए कंपनियों को जिम्मेदारी लेनी होगी। स्थानीय लोगों ने लेकिन खुली खदानों के कारण प्रदूषण क्षेत्र में चरम सीमा पर पहुंच गया है. इसके बावजूद लाइन स्टोन की ट्रांसपोर्टिंग भी मनमाने तरीके से की जाती है।
मामला गरमाया
अभी हाल में खनिज विभाग सुवा खेड़ा व खेड़ा राठौड़ द्वारा वीर दुर्गादास मिनरल्स प्राइवेट लिमिटेड को 1,100 बीघा जमीन लीज पर देने और उसके बाद वहां स्थानीय लोगों के बिना ही शनिवार को जनसुनवाई करने का मामला गरमा रहा है। बता दें कि जनसुनवाई में बिना स्थानीय लोगों की जानकारी के जिस स्थान की माइनिंग लीज होना है, उन लोगों को दूर रखते हुए अपने भाड़े के लोगों को बुलाकर जनसुनवाई संपन्न करवाने का काम किया है। जिससे स्थानीय गांववासियों में रोष व्याप्त है गांव की जनता का कहना है कि यहां की धूल मिट्टी हम खाएंगे तब हमारी बिना दावे आपत्ति के कैसे जनसुनवाई संपन्न कर ली।
जनसुनवाई के नियम
बता दें कि जनसुनवाई का नियम यह है कि जिस गांव की जमीन अधिग्रहण कर उसे माइंस के लिए दी जाती है। जहां गांव वालों की समस्या को सुना जाता है ताकि उसका निराकरण किया जा सके। उसके बाद ही परमिशन दी जाए लेकिन इन सबके बावजूद प्रशासन की मिलीभगत से यह जनसुनवाई सुवाखेड़ा गांव से करीब 3 किलोमीटर दूर जंगल में कर दी। जहां पर जानकारी के अभाव में बहुत कम लोग पहुंच पाए।
ग्रामीणों ने किया विरोध
जनसुनवाई के दौरान ऐसे कई वाकिये हुए जिसमें राजस्थान के लोगों ने कहा कि हमें कोई दिक्कत नहीं है। जनसुनवाई में राहुल जटिया के नाम से नो ऑब्जेक्शन बताया गया जबकि राहुल जटिया सुवाखेड़ा में रहता ही नहीं है। जब इस बात के लिए राहुल जटिया से पूछा गया कि तुम कहां रहते हो तो उनका कहना था कि हम राजस्थान में रहते हैं तथा ₹500 देकर हमें यहां लाए हैं। बता दें राजस्थान के इन लोगों का यहां की माइंस से कोई लेना- देना नहीं है। इसी प्रकार मांगू सिंह को यहीं का निवासी बताकर उसका नो ऑब्जेक्शन बताया गया। यहां माइस लगती है तो जब ग्रामीणों ने स्थानीय एडीएम एवं एसडीएम के इस बात का विरोध किया और कहा गया कि यह लोग बाहर के हैं। इनके आधार कार्ड चेक किए जाए लेकिन प्रशासन ने कोई बात जनसुनवाई में नहीं सुनी।
सरपंच प्रतिनिधी ने कही ये बातें
जन सुनवाई के लिए तीन स्थानीय अखबारों में सूचना देने का प्रावधान है जिससे कि अधिक से अधिक ग्रामवासी जनसुनवाई में भाग ले सके लेकिन स्थानीय किसी की समाचार पत्र में इस प्रकार की सूचना प्रसारित नहीं की गई। – यशवंत यादव, सरपंच प्रतिनिधी
मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा ये
वहीं, मैनेजिंग डायरेक्टर ने कहा कि जनसुनवाई पूरी तरह विधि अनुरूप हुई है तथा जनसुनवाई में किसी प्रकार की कोई अनियमितताएं नहीं हुई है लीज खनन की बात पर लीज मिल चुकी है तथा उस पर तथा उस पर खनन भी जारी है। इस बाबत हम शासन को रॉयल्टी के तौर पर राजस्व भी दे रहे हैं। चरनोई की कोई भूमि हमें आवंटित नहीं की गई और विधि अनुरूप वहां पर प्लांटेशन भी कल से किया जाएगा। – कान सिंह राठौर, मैनेजिंग डायरेक्टर, वीर दुर्गादास मिनरल प्राइवेट लिमिटेड
नीमच से कमलेश सारडा की रिपोर्ट