नीमच के जाट क्षेत्र में लगातार हो रही तेज बारिश ने तबाही मचा दी है। श्रीपुरा तालाब का जलस्तर बढ़ने से वेस्ट वेयर चालू हो गए, जिससे नदी-नाले उफान पर आ गए और घाटी इलाके के करीब 200 बीघा खेत पानी में डूब गए। मक्का, मूंगफली और सोयाबीन की फसलें बर्बाद हो गई है। खेतों में पानी भरने से किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। वहीं, आम जनता को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है। शहरी क्षेत्रों से संपर्क टूट चुके हैं।
ग्रामीण सोहनलाल धाकड़, घीसालाल धाकड़, भारत धाकड़ और कालूराम धाकड़ ने बताया कि खेत जलमग्न होने से फसल पूरी तरह चौपट हो गई है। किसानों का कहना है कि इस स्थिति ने उन्हें आर्थिक संकट में डाल दिया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से फसल नुकसान का त्वरित सर्वे कर राहत राशि दिलाने की मांग की है।
पुलिया टूटने से बढ़ी मुश्किलें
स्थानीय लोगों का कहना है कि श्रीपुरा की पुलिया छोटी है और भूखी माता से घाटी जाने वाली पुलिया क्षतिग्रस्त हो चुकी है। इस कारण स्कूली बच्चों और ग्रामीणों को घंटों पानी उतरने का इंतजार करना पड़ता है। कई बार लोग जोखिम उठाकर पानी पार करने को मजबूर हो जाते हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन की लापरवाही से उनकी दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। सभी चीजों के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। जनजीवन खतरे में है।
पहुंचे मौके पर विधायक
जावद विधायक ओमप्रकाश सकलेचा जाट क्षेत्र पहुंचे और हालात का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए कि तुरंत किसानों की फसलों का सर्वे किया जाए और उन्हें राहत राशि उपलब्ध कराई जाए। सकलेचा ने कहा कि इस प्राकृतिक आपदा में किसानों को अकेला नहीं छोड़ा जाएगा।
वहीं, ग्रामीण जसवंत बंजारा ने बताया कि खेतों में पानी भरने की सूचना उन्होंने तहसीलदार और पटवारी को दी थी, लेकिन 24 घंटे बाद भी कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इस पर विधायक सकलेचा ने नाराजगी जताई और फोन पर तहसीलदार और पटवारी को फटकार लगाते हुए तत्काल कार्रवाई के आदेश दिए।
ग्रामीणों ने लगाई गुहार
ग्रामीणों ने प्रशासन से पुलिया निर्माण कार्य को प्राथमिकता देने के साथ ही राहत शिविर लगाने और संपर्क मार्गों को बहाल करने की मांग की है। उनका कहना है कि कई खेतों में अब भी पानी भरा है, जिससे जनजीवन प्रभावित हो रहा है। बारिश की इस मार ने किसानों और ग्रामीणों को गंभीर संकट में डाल दिया है।
कमलेश सारडा, नीमच





