जब “कुंवारों के देवता बिल्लम बावजी” निकले नगर भ्रमण पर

नीमच, कमलेश सारडा। जब बेटा-बेटी बड़े हो जाते है तो माता-पिता को उनकी शादी की चिंता सताने लगती है। योग्य वर-वधु की तलाश करते हैं। देवी-देवताओं को मनाते है, मन्नते करते हैं ताकि समय पर बेटा-बेटी के हाथ पीले हो जाए। तलाश पूरी नहीं होती है तो जावद में बिल्लम बावजी के यहां मन्नत मांगने से योग्य वर-वधु आते हैं। इसी के चलते सालों से लोग बिल्लम बावजी को पूजते हैं। और मनोकामना पूर्ण भी होती है। जिला मुख्यालय नीमच से करीब 18 किमी दूर पुरानी धानमंडी जावद में कुंवारों के देवता बिल्लम बावजी की चल मूर्ति विराजित है।

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ऐसा माना जाता है कि रंगपंचमी से रंगतेरस तक इनके दर्शन एवं पूजा करने से कुंवारों की मनोकामना पूर्ण होती है। मंगलवार को जावद नगर में कुंवारों के देवता बिल्लम बावजी विराजित हुए हैं। ढोल-ढमाकों और विधि-विधान के साथ हुई बिल्लम बावजी की स्थापना के साथ ही कुंवारों द्वारा पूजा-अर्चना करना शुरू कर दिया गया है। भक्तों द्वारा मंगलवार को ढोल-ढमाकों और विधि-विधान के साथ बिल्लम बावजी की पूजा कर नगर भ्रमण कराया गया व नियत स्थान पर विराजित किया गया। प्रवीण सोनी व राजेन्द्र बोहरा ने बताया कि चमत्कारिक बिल्लम बावजी की मूर्ति नगर के श्री रिद्धि-सिद्धि गणपति मंदिर में रहती है। इस मूर्ति को रंग पंचमी के दिन निकालते हुए ढोल-ढमाकों और नाचगान के साथ धानमंडी मे स्थापित किया जाता है। स्थापना के नौ दिन बाद इस मूर्ति को पुनः मंदिर में स्थापित कर दिया जाता है। इन नौ दिनों में कुंवारे युवक-युवतियों द्वारा पूजा-अर्चना कर शादी होने की मन्नत मांगी जाती है। कुंवारे लोगों के लिए बिल्लम बावजी का यह स्थान एक चमत्कारिक देवस्थल बन चुका है। रहवासियों के अनुसार पूर्व में इस देव स्थान पर आने वालों की संख्या बेहद कम थी लेकिन चमत्कार के कारण वर्तमान में यहां कुंवारों का तांता लगा रहता है। यहां कुंवारों के अलावा उनके माता-पिता या अन्य परिजन भी उनकी संतान की जल्द शादी के लिए मन्नत मांगने पहुंचते हैं। अभी तक मन्नत मांगने वाले सेकड़ो कुंवारों की शादियां हो चुकी है। इस कारण बिल्लम बावजी को भक्त कुंवारों के देवता भी कहते हैं।

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Harpreet Kaur