मध्य प्रदेश के नीमच जिले में कलेक्टर की जनसुनवाई में आज एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने ये सोचने पर मजबूर कर दिया कि वाकई में न्याय आज भी गरीबों के लिए किताबी बातें है? दबंगों की दबंगई के सामने सरकारी अफसर और सरकार के नियम कायदे कोई मायने नहीं रखते? आज भी गरीबों को अपने हक़ के लिए दर दर भटकना पड़ता है? आइये आगे जानते हैं पूरा घटनाक्रम।
नीमच कलेक्ट्रेट में चल रही जन सुनवाई में अचानक एक नीली साड़ी पहनी महिला लोट लगाती हुई आती दिखाई दी, उसने ऐसा इसलिए किया क्योंकि उसे नीचे के अधिकारियों से न्याय नहीं मिला, वो इस भरोसे से कलेक्ट्रेट पहुंची कि शायद यहाँ न्याय मिल जाये, उसे लगा कि जब वो हाथ पैर जोड़ते हुए ऑफिस में जा रही हिया तोकोई नहीं सुन रहा शायद लेटते हुए जाये तो किसी अफसर का दिल पसीज जाये इसलिए वो लोट लगाते हुए पहुंची।
इसलिए लोट लगाकर कलेक्ट्रेट पहुँचने पर मजबूर हुई महिला
ये महिला थी मडावदा गांव की निवासी नानीबाई, महिला के पति की मृत्यु हो चुकी थी, उसका आरोप था कि गाँव के सरपंच ने उसकी जमीन पर कब्ज़ा कर लिया है। महिला ने बताया कि उसने कई बार तहसील, जनपद और पंचायत स्तर पर शिकायत की, लेकिन कहीं भी उनकी सुनवाई नहीं हुई। इसलिए थक-हारकर कलेक्टर की जनसुनवाई में इस तरह पहुंचकर अपना विरोध जताया।
सरपंच पर जमीन पर कब्ज़ा करने के आरोप
महिला की ऐसी हालत देखकर अधिकारियों में हड़कंप मच गया। तहसीलदार तुरंत मौके पर पहुंचे और महिला को समझाकर लोटने से रोका। इसके बाद नानीबाई को जनसुनवाई कक्ष में ले जाया गया, जहाँ अपर कलेक्टर लक्ष्मी गामड ने उनकी बात सुनी। महिला ने बताया कि सरपंच द्वारा उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर वहाँ डोम बनाया जा रहा है, और उन्हें डराने-धमकाने के आरोप भी लगाए।
ADM ने दिए जांच के आदेश
अपर कलेक्टर लक्ष्मी गामड ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जावद एसडीएम को निर्देश दिए कि तहसीलदार और जनपद सीईओ को तत्काल मौके पर भेजकर निष्पक्ष जांच करवाई जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं, तो संबंधित पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। गौरतलब है कि पूर्व में इस तरह के कई घटनाक्रम सामने आते रहे है, जिसमे सिस्टम से थक हार कर लोग न्याय के लिए इस तरह का तरीका अपनाते रहे।
नीमच से कमलेश सारड़ा की रिपोर्ट




