नीमच। एक तरफ सरकार बसों में यात्रा के दौरान महिलाओं की सहजता और सुरक्षा के लिए लगातार प्रयास कर रही है । यह प्रयास और अच्छे हो सकते हैं यदि परिवहन अधिकारी भी महिला हो । लेकिन इसका विपरीत क्रियाकलाप हो रहा है नीमच में जहां महिला परिवहन अधिकारी बरखा गौड के पदस्त होने बावजूद बसों में यात्रा कर रही महिलाएं खुद को असहज और असुरक्षित महसूस कर रही हैं । दिल्ली के निर्भया कांड और सेंधवा के बस अग्निकांड के बाद न्यायालय ने बसों में सीसीटीवी कैमरे, इमरजेंसी नंबर, अग्निशामक यंत्र आपातकालीन द्वार होने व कांच पर पर्दे या काले कांच नहीं होने सहित कई सख्त आदेश दिए लेकिन आज जब नीमच बस स्टैंड पर पहुंचकर बसों का जायजा लिया तो चौंकाने वाला मामला सामने आया।
नीमच से दूर दूर तक चलने वाली बसों में ना तो सीसीटीवी कैमरे लगे हुए थे, ना ही आपातकालीन स्थिति के लिए हेल्पलाइन नंबर लिखा हुआ था, आपातकालीन द्वार को तार से बांध रखा था, महिलाओं की आरक्षित सीट पर पुरुष बैठे हुए थे, बसों में स्तनपान कक्ष नहीं दिखा, ड्राइवर कंडक्टर वर्दी में नजर नही आए यही नहीं बसों में अग्निशामक यंत्र भी नहीं दिखे। ऐसी स्थिति को देखते हुए जब हमने महिलाओं से इस संबंध में जानकारी ली तो महिलाओं ने कहा कि हम नीमच जिले में बस यात्रा के दौरान असहज और असुरक्षित महसूस करती हैं। यही नहीं उन्होंने आगे बताया कि बसों में तय संख्या से ज्यादा सवारियां बैठाई जाती है जिसके चलते पुरुष हमारे पास खड़े हो जाते हैं कई बार बस में लोग बीड़ी सिगरेट पीते हैं तो घुटन होने लगती है लेकिन बस चालक और परिचालक उन्हें मना नहीं करते।
महिलाओं के लिए आरक्षित सीट पर पुरुष बैठ जाते हैं । इससे बड़ी दुविधा विद्यालय और महाविद्यालय की छात्राओं ने बताई जिनका कहना है स्टूडेंट होने के नाते हम लोग किराए में कुछ कन्सेकशन पाते हैं इसके एवज में या तो हमें खड़े होकर यात्रा करना पड़ती है या फिर ड्राइवर के पास इंजन के बोनट पर बैठकर । बसों में सीसीटीवी कैमरे नहीं होने के चलते परिजनों को भी हमारी चिंता लगी रहती है ।