इंदौर, आकाश धोलपुरे। इंदौर में पालकों ने अलग-अलग संगठनों के साथ मिलकर निजी स्कूलों की मनमानी को लेकर मोर्चा खोल दिया है जिनका आक्रोश घर से लेकर स्कूल के मुख्य द्वार तक दिख रहा है। वहीं दूसरी ओर निजी स्कूल प्रबंधन भी हाथों में स्कूल की चाबियां लेकर सड़क पर उतर आए हैं और सरकार से स्कूल खोलने की मांग कर रहे हैं।
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दरअसल, जहां पेरेंट्स सरकार के निर्णय और कोर्ट के आदेशों के पालन की बात कहकर स्कूल संचालकों के खिलाफ लामबंद हैं। वहीं स्कूल प्रबन्धकों का अपना तर्क है इसी के चलते निजी स्कूल संचालकों में रोष है। इसी रोष के चलते सोमवार को इंदौर कलेक्टर कार्यालय के बाहर निजी स्कूल संचालक बड़ी संख्या में एकत्रित होकर विरोध जताने पहुंचे। निजी स्कूल संचालक हाथों में स्कूल की चाबियां लेकर पहुंचे और उन्होंने कहा कि करीब डेढ़ वर्ष से स्कूल बंद है और हमारी पहली प्राथमिकता है कि स्कूल कोविड – 19 की गाइडलाइन के मुताबिक खोले जाए और हम स्कूल खोलने को तैयार है।
वहीं स्कूल संचालको की माने तो आरटीई के फीस के पैसे 2017 से अब तक के एकमुश्त दिए जाये ताकि कोरोना काल में स्कूल संचालकों को ऑक्सीजन रूपी सहायता मिलेगी उससे स्कूल संचालक परेशान नहीं होगा। वहीं तीसरी लहर को महज आशंका मानते हुए निजी स्कूल संचालकों ने कहा कि जैसे मौसम का अनुमान गलत निकलता है वैसे तीसरी लहर की आशंका भी अनुमानित ही है। स्कूल संचालकों का कहना है कि हम सीएम आदेश के विरोध में नहीं हैं लेकिन हम चाहते हैं कि कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए स्कूल खोले जायें। इसके लिए स्कूल संचालकों ने उपाय भी सुझाया है। उनकी माने तो 9 वीं से 12 वीं तक की क्लास नियमित लगाई जाए वही 6 ठी से 8 वी तक के स्कूल अल्टरनेट डे पर खोले जाएं वहीं प्रायमरी क्लासेस सप्ताह में 2 दिन खोले जायें। निजी स्कूल संचालकों के संगठन के प्रदेश सचिव रवीश कुमार मालवीय ने कहा कि सरकार उन्हें गाइडलाइन बनाकर दे, वो उसका पालन करेंगे।
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विरोध स्वरूप स्कूल संचालकों ने पहले जिला कलेक्टर कार्यालय में चाबियां सौंपकर अपनी मांगों का ज्ञापन दिया वहीं इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय और डीआईजी इंदौर को भी ज्ञापन दिया गया। इसी के चलते इंदौर में सोमवार को 1500 स्कूल संचालको ने ऑनलाइन क्लासेस बंद कर विरोध भी जताया।