भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता नरेंद्र कुमार के खिलाफ एक और शिकायत की जांच शुरू हो गई है। उन पर आरोप है कि रिश्तेदारों की एक फर्म को उन्होंने एमपीआरडीसी MPRDC में कार्यरत रहते हुए नियम विरुद्ध लाभ पहुंचाया। इसके पहले भी नरेंद्र कुमार की एक शिकायत की जांच मुख्यमंत्री कार्यालय करने के निर्देश दे चुका है।
MP बजट सत्र 2022: डिप्टी स्पीकर के पद के लिए सियासी जंग शुरू, पुरानी परंपरा हो सकती है कायम
वरिष्ठता की अनदेखी कर और नियमों को ताक पर रखकर लोक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग के प्रभारी प्रमुख अभियंता बनाए गए नरेंद्र कुमार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री सचिवालय ने लोक निर्माण विभाग के अवर सचिव को आदेश दिए थे कि वह नरेंद्र कुमार के खिलाफ की गई शिकायत की जांच करें। दरअसल अमित कुमार साहू नाम के व्यक्ति ने शिकायत की थी कि पीडब्ल्यूडी PWD के प्रभारी ENC नरेंद्र वर्मा के पुत्र राकेश वर्मा और उनकी पत्नी गीता वर्मा के नाम से पीडब्ल्यूडी में हाईटेक सिविल टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड रजिस्टर्ड है। इस फर्म पर आरोप लगाया गया था कि ठेकेदारों को काम दिलवाने से लेकर डीपीआर कंसल्टेंट, ब्रिज कांटेक्ट में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से कार्य कराने का काम करती है। इस मामले में विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव और प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने शिकायत मिलने की बात की सत्यता की पुष्टि करते हुए कहा था कि तथ्यों के आधार पर जांच की जाएगी और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।
इंदौर : अमेरिकी नागरिकों से धोखाधड़ी के मामले में अब आया ये नया मोड़, जानिये !
इसी तरह नवंबर माह में खरगोन के नरेंद्र आर्य द्वारा मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में शिकायत की गई कि नरेंद्र कुमार ने मुख्य अभियंता (संधारण), मध्यप्रदेश सड़क विकास प्राधिकरण, भोपाल में रहते हुए अपने पुत्र और रिश्तेदार द्वारा द्वारा संचालित निजी फर्म मैसर्स द स्केल फॉर मैट्रिक्स एंड डाटा कलेक्शन प्राइवेट लिमिटेड को विभाग द्वारा निर्मित सड़कों की रफनेस की जांच का कार्य नियम विरुद्ध दिया था। इस अवधि में कुल 8 फर्मों द्वारा 115 फिटनेस टेस्ट किए गए जिनमें से 72 टेस्ट अकेले केवल इसी फर्म द्वारा कराए गए। शिकायत में यह भी कहा गया था कि इसके बदले नरेंद्र वर्मा ने न केवल अपने पद का दुरुपयोग किया बल्कि लाखों रुपए भी कमाए। विभागीय नियमों में यह स्पष्ट है कि कोई भी अधिकारी अपने किसी परिचित या रिश्तेदार की फर्म को इस तरह से लाभ नहीं पहुंचा सकता। एमपीआरडीसी के संभागीय प्रबंधक ने उप महाप्रबंधक एमपीआरडीसी को शिकायत की जांच करने के निर्देश दिए थे। हैरत की बात यह है कि इतनी गड़बड़ियों के बाद भी नरेंद्र कुमार अभी भी पद पर बने हुए हैं। बताया जा रहा है कि उन्हें इस पद पर बिठाने में विभाग की एक इंजीनियर की बड़ी भूमिका है जो कमलनाथ सरकार में एक मंत्री की स्टाफ में पदस्थ था।