पीडब्ल्यूडी के ENC की एक और शिकायत, रिश्तेदारों की फर्म को लाभ पहुंचाने का आरोप

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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता नरेंद्र कुमार के खिलाफ एक और शिकायत की जांच शुरू हो गई है। उन पर आरोप है कि रिश्तेदारों की एक फर्म को उन्होंने एमपीआरडीसी MPRDC में कार्यरत रहते हुए नियम विरुद्ध लाभ पहुंचाया। इसके पहले भी नरेंद्र कुमार की एक शिकायत की जांच मुख्यमंत्री कार्यालय करने के निर्देश दे चुका है।

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वरिष्ठता की अनदेखी कर और नियमों को ताक पर रखकर लोक निर्माण विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभाग के प्रभारी प्रमुख अभियंता बनाए गए नरेंद्र कुमार की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही। कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री सचिवालय ने लोक निर्माण विभाग के अवर सचिव को आदेश दिए थे कि वह नरेंद्र कुमार के खिलाफ की गई शिकायत की जांच करें। दरअसल अमित कुमार साहू नाम के व्यक्ति ने शिकायत की थी कि पीडब्ल्यूडी PWD के प्रभारी ENC नरेंद्र वर्मा के पुत्र राकेश वर्मा और उनकी पत्नी गीता वर्मा के नाम से पीडब्ल्यूडी में हाईटेक सिविल टेस्ट प्राइवेट लिमिटेड रजिस्टर्ड है। इस फर्म पर आरोप लगाया गया था कि ठेकेदारों को काम दिलवाने से लेकर डीपीआर कंसल्टेंट, ब्रिज कांटेक्ट में डायरेक्ट और इनडायरेक्ट रूप से कार्य कराने का काम करती है। इस मामले में विभाग के मंत्री गोपाल भार्गव और प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने शिकायत मिलने की बात की सत्यता की पुष्टि करते हुए कहा था कि तथ्यों के आधार पर जांच की जाएगी और दोषियों को छोड़ा नहीं जाएगा।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।