कुबेरेश्वरधाम में जन्मोत्सव के दौरान कल्पवृक्ष समां बांधने वाले पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव पुराण में भगवान चित्रगुप्त का वर्णन जगत के कल्याण के लिए किया गया है। अगर उनकी किसी व्याख्या से आहत हुए हों, तो वे सम्पूर्ण श्रद्धालुओं से क्षमायाचना करते हैं। उन्होंने सभी से प्रेम, सद्भाव और भक्ति बनाए रखने का आह्वान किया।
पत्रकारों से बातचीत में पंडित प्रदीप मिश्रा ने स्पष्ट किया कि उनका कोई भी कथन किसी समाज या वर्ग की भावना को ठेस पहुँचाने के इरादे से नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि शिव पुराण के श्लोकों का मूल भाव सन्मार्ग व समरसता है। हाल में महाराष्ट्र कथा में यमराज व चित्रगुप्त के प्रसंग को समझाने में हुई चूक के लिए उन्होंने क्षमा प्रार्थना करते हुए कहा कि आगे से विशेष सतर्कता बरती जाएगी। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने भजन संध्या में हिस्सा लिया और मंदिर परिसर में दिव्य आभा का अनुभव किया।
विवाद का कारण और पंडित मिश्रा का स्पष्टीकरण
कई श्रद्धालुओं ने महाराष्ट्र कथा के दौरान चित्रगुप्त जी के प्रसंग में अपने-अपने अर्थ लगाए, जिससे सोशल प्लेटफॉर्म पर बहस शुरू हो गई। पंडित मिश्रा ने बताया कि उनके संबोधन में मात्र पुराण की मूल आत्मा सत्य, शिव, सुंदरता को उजागर करने का प्रयास था। उन्होंने जोर देकर कहा कि मानवीय संवेदनाओं का सम्मान उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यदि किसी के मन में कष्ट पहुँचा हो, तो वह इसे अवांछित दुर्घटना मानते हैं और पुनः समस्त भक्तजन से माफी चाहते हैं। उन्होंने सभी को संघटन, धैर्य और साधना के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।
जन्मोत्सव पर भजन संध्या में श्रोताओं ने झूमकर किया अभिनंदन
पंडित मिश्रा के जन्मोत्सव के अंतर्गत आयोजित भजन संध्या में प्रसिद्ध भजन गायक लखबीर सिंह लक्खा ने ‘प्यारा सजा है तेरा द्वार भवानी’, ‘केसरी के लाल’ और अन्य लोकप्रिय भजनों से उपस्थित जनसमूह को मंत्रमुग्ध कर दिया। प्रत्येक सुर-विन्यास पर श्रद्धालुओं ने तालियाँ बजाकर उत्सव को चार चाँद लगाए। लक्खा ने मंच पर बताया कि उनकी भजनयात्रा 14 वर्ष की उम्र से चल रही है और पंडित मिश्रा के प्रवचन ने उन्हें आध्यात्मिक प्रेरणा दी है। समापन पर हजारों भक्तों ने मिलकर शिव-शक्ति के जयकारे लगाकर दिनभर भक्ति का आनंद उठाया।





