पन्ना में मिला एक पत्ती वाला दुर्लभ पलाश का पेड़, रूंज डैम के डूब क्षेत्र में मौजूद

पन्ना, भारत सिंह यादव। जिले का जंगल वन्यजीवों के साथ-साथ विलुप्ति की कगार में पहुंच चुकी कई दुर्लभ प्रजाति की वनस्पतियों का भी खजाना है। लेकिन वनों की अंधाधुंध कटाई व विकास की अंधी दौड़ में प्रकृति प्रदत्त अनमोल खजाना तेजी से उजड़ रहा है। यहां की रतनगर्भा धरती में पलाश (palash tree) का एक ऐसा दुर्लभ पेड़ मिला है, जिसे रेयरेस्ट ऑफ द रेयर (rarest of the rare) कहा जाता है। यह पेड़ जिला मुख्यालय पन्ना से लगभग 15 किलोमीटर दूर विश्रामगंज गांव के निकट स्थित खेत की मेड पर कई दशकों से मौजूद है। यहां से गुजरने वाली रूंज नदी पर सिंचाई बांध का निर्माण चल रहा है और यह पूरा क्षेत्र रूंज डेम के डूब में आता है। जाहिर सी बात है कि समय रहते यदि इस दुर्लभ पेड़ को संरक्षित न किया गया तो इसका वजूद हमेशा के लिए मिट जायेगा।

पर्यावरण प्रेमी हनुमंत सिंह ने बताया कि बहुप्रचलित हिंदी की प्रसिद्ध कहावत ढाक के तीन पात सभी ने सुनी होगी क्योंकि ढाक यानी पलाश की टहनी में तीन पत्ते होते हैं। इस मुहावरे का अर्थ है सदा एक सा रहना, एक जैसी स्थिति जिसमें कोई बदलाव नहीं होता। लेकिन इस बात की जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी कि सिर्फ तीन पत्ते वाला ही नहीं बल्कि एक पत्ते वाला भी ढाक होता है। अब यह अलग बात है कि एक पत्ते वाला ढाक का पेड़ आमतौर पर कहीं नजर नहीं आता। जबकि तीन पत्ते वाले ढाक के पेड़ों का पूरा जंगल मिल जाता है। यही वजह है कि एक पत्ते वाले ढाक के पेड़ को अति दुर्लभ कहा जाता है। पन्ना जिले के विश्रमगंज गांव में स्थित इस विशिष्ट पेड़ की ओर अभी तक किसी का भी ध्यान नहीं गया।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।