बदहाली का आलम! भोपाल में मरीज खरीदते फिर रहे डॉक्टरों के लिए दस्ताने, ताकि हो सके इलाज

भोपाल,डेस्क रिपोर्ट। प्रदेशवासियों को स्वास्थ्य सेवाओं (Health Facilities) का कितना लाभ मिल रहा है, इसका अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि प्रदेश की राजधानी भोपाल (Bhopal) में गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical College) से संबंध हमीदिया (Hamidia Hospital) और सुल्तानिया अस्पताल (Sultania Hospital) में मरीज डॉक्टरों और नर्सों को दस्ताने (Gloves) खरीद कर दे रहे हैं। इन अस्पतालों में बजट (Budget) की तंगी के चलते बदहाली का यह आलम है कि यहां इलाज के लिए जरूरी चीजों की कमी पड़ गई है। इसके साथ ही जरूरी जांचे (Test) भी यहां बंद है, जिसके कारण मरीजों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में इस संबंध में मेडिसिन समेत कहीं विभागाध्यक्षों ने यहां के डीन को पत्र लिख कर अपनी समस्या से अवगत कराया है।

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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।