Rajgarh News : फिर हावी अंधविश्वास, “परियों का पानी” पीने उमड़ी सैंकड़ों की भीड़

राजगढ़, डेस्क रिपोर्ट। शासन प्रशासन बार बार अपील कर रहा है, सख्ती कर रहा है कि कोरोना से बचने के लिए भीड़ न जुटे, लोग मास्क के बिना बाहर न निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो लेकिन अब भी कई लोग मानने को तैयार नहीं। खासकर जब बात आस्था से जुड़ी हो तो लोग किसी तरह के नियम की परवाह नहीं करते। लेकिन लोग आस्था और अंधविश्वास (Superstition) में फर्क करना अब भी नहीं जानते। ऐसा ही अंधविश्वास देखने को मिला राजगढ़ में, जहां अनलाॅक होते ही ‘परियों के पानी’ से कोरोना ठीक होने की अफवाह ऐसी उड़ी कि मंदिर के बाहर सैंकड़ों की तादाद में लोग जमा हो गए। हालत ये थी कि न तो कोई डिस्टेंस का पालन कर रहा था न ही मास्क लगाए हुए था। इसी के साथ बिना हाथ साफ किए ही ‘पवित्र जल’ का सेवन भी किया जा रहा था।

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कोरोना काल की ये खौफनाक तस्वीर है..अनलॉक होते ही फिर से महामारी को न्योता देने वाली इस भीड़ में अधिकांश महिलाएं हैं। दरअसल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर ग्राम चाटुखेड़ा में अनलॉक होते ही कस्बे के मंदिर परिसर में ये अफवाह फैल गई कि मंदिर में दो महिलाओं के शरीर में देव परियां आई  हैं। बस फिर क्या था, दोपहर 11-12 बजे के आसपास सैकड़ों महिला-पुरुषों की भीड़ मंदिर के बाहर इकट्ठी हो ई। जानकारी अनुसार इन ‘परियों’ ने ग्रामीणों के ऊपर पानी के छींटे देकर इन्हें मंदिर का जल पीने को कहा। साथ ही ग्रामीणों से कहा गया कि यह जल पी लो तो किसी को कोरोना वायरस छू भी नहीं सकेगा। जिन्हें कोरोना है वह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे और उन्हें दोबारा कभी कोरोना नहीं होगा। देखते ही देखते यह खबर पूरे कस्बे सहित आसपास के गांवों में भी फैल गई और दोपहर को वहां सैकड़ों की संख्या में भीड़ इकट्ठी हो गई। यहां न किसी ने मास्क पहना हुआ था न ही जल पीने से पहले हाथों को सेनेटाइज किया जा रहा था।

इस खबर के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद राजगढ़ कलेक्टर नीरज कुमार सिंह व एसपी प्रदीप शर्मा ने तत्काल चाटुखेडा गांव में पुलिस फोर्स को भेजा और आस्था के नाम पर जमा लोगों की भीड़ को वहां से हटाया गया। इसी के साथ पुलिस ने अंधविश्वास फैलाकर भीड़ को इकट्ठा करने के मामले में दो महिलाओं और दो पुरुषों पर मामला दर्ज किया है।पुलिस द्वारा गाँव में मुनादी कर लोगों को समझाईश भी दी गई। भले ही पुलिस प्रशासन ने स्थिति को संभाल लिया लेकिन तब तक भीड़ ने इकट्ठे होकर जिस खतरे को न्योता दिया, उसे लेकर कोई डैमेज कंट्रोल नहीं किया जा सकता है। अगर उस भीड़ में कोई संक्रमित व्यक्ति पहुंचा होगा तो न जाने उससे कितने और लोगों के संक्रमण का खतरा हो सकता है। इस तरह के अंधविश्वास के कारण एक बार फिर स्थिति बेकाबू हो सकती है।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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